*🏳️🌈प्रवचन वैभव🏳️🌈*
9️⃣
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41)
परार्थ व्यसनी बनो
पुदगल व्यसनी मत बनो.!
42)
*प्रभु प्रिय*
*तभी लगेंगे जब,*
*पर पदार्थ अप्रिय लगेंगे.!*
आत्मप्रियता ही प्रभु प्रियता हैं.!
43)
*गुणों का पक्ष होगा तो ही*
पुण्यानुबंधी पुण्य एवं
सर्व रिद्धि सिद्धि
समृद्धि मिल
सकती है.!
44)
जो स्वयं की
चिंता करता है
उसको ही परचिंता का
*परोपकार का अधिकार हैं.!*
45)
करूणता
ये है की शत प्रतिशत
समय *”जो छूटनेवाला है*
*उसके पीछे ही लगा रहे है”,*
उसका 1% भी यदि
जो साथ आएगा उसके लिए
दिया तो पछताना नही पड़ेगा..!
*_(श्री राजप्रश्नीय सूत्र प्रवचन )_*
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*समत्व शिरोमणि*
*सूरि जयन्तसेन कृपापात्र*
श्रुत संस्करणप्रेमी
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैन संघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर
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