श्री चन्द्रप्रभु जैन नया मन्दिर ट्रस्ट, श्री जैन आराधना भवन, चेन्नई में उद्धबोधित प्रवचन के मुख्य अंश
➡️परिस्थिति का सुधार कर्म सता के हाथ मे हैं,मनस्थिति अपने हाथ मे हैं।
➡️गलत काम करने का मन भी हो तो अच्छे आदमी के पास सलाह लेना।
➡️पदार्थ अनंत है तो इच्छा उस से भी ज्यादा अनंत हैं।
➡️ईच्छा के ऊपर विराम लगाने की ताकत किसी के अंदर नही है ,पदार्थ के ऊपर विराम लगा सकते हैं।