कडलूर. पारस नाथ मंदिर में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा कि सुख देने से ही सुख की प्राप्ति होती है। दूसरों को सुख देकर मनुष्य अपनी आत्मा को सुखी बनाने जैसा कार्य करता है। लेकिन दूसरों को दूख देने पर खुद की आत्मा ही दुखी होती है। उन्होंने कहा जो दूसरों के लिए गलत काम करता है वह खुद के लिए ही गलत मार्ग का चयन कर लेता है।
ज्ञानी कहते हैं कि दूसरों को अगर कुछ देना है तो सुख देने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने पर कहीं ना कहीं खुद के लिए ही सुखी मार्ग बन जाते है। मनुष्य के आने वाले प्रत्येक भव भी महान बन जाते है। उन्होंने कहा ऐसे अच्छे कार्य करने के लिए गुरुभगवंतों का सानिध्य मिला है तो उसका लाभ उठा कर धर्म के कार्यो में लग जाना चाहिए। ऐसा करने पर मनुष्य का समय कल्याणकारी हो जाता है।
उन्होंने कहा परमात्मा से पहले अपने माता पिता को रखने वालों के जीवन में कोई कठिनाई नहीं आती है। जो मनुष्य जन्म देने वाले माता पिता के उपकारों को भूल जाते है वे लाख दान कर ले लेकिन उससे कुछ हासिल नहीं होता। माता पिता को दुखी करके अगर परमात्मा को सुखी करने का प्रयास किया जाए तो वह विफल हो जाता है। इसलिए सबसे पहले अपने माता पिता के उपकारों को याद रखते हुए उन्हें हर वक्त खुश रखने का प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अगर जन्म देने वाला सुखी रहेगा तो दुनिया अपने आप ही सुखी बन जाएगी।