किलपाॅक में विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर ने कहा हमारा अनादि काल से जन्म मरण का चक्र चालू है, इसकी कोई सीमा नहीं है। आपके हृदय में जब परमात्मा के दर्शन हो जाएंगे तब यह चक्र खत्म हो जाएगा।
परमात्मा सर्वश्रेष्ठ, सर्वशक्तिमान व सर्वगुण सम्पन्न है। अन्तर से परमात्मा के दर्शन करने के लिए मंदिर में उनके दर्शन करना अनिवार्य है। उनके प्रति आपके हृदय में आस्था, श्रद्धा बने तो समझना उनकी सेवा व साधना में हमारा प्रवेश हुआ है।
उनसे मिलने के तीन मार्ग है अभय यानी चित्त की प्रसन्नता, अद्वेष यानी मन में उद्वेग नहीं होना और अखेद यानी उत्साह बनाए रखना है। हमें हमारे मन में प्रभु के दर्शन की प्यास जगानी चाहिए। प्रभु के दर्शन, पूजा करते करते ये भाव मन में आने चाहिए कि हे प्रभु, आप मेरे हृदय में आकर बिराजें।
उन्होंने कहा कई लोग सोचते हैं मन में ही भगवान है तो मंदिर में जाने की क्या जरूरत है। जिस तरह तालाब और सरोवर में पानी भरा हुआ है लेकिन पानी पीने के लिए नल के पास ही जाना पड़ेगा। अन्दर विराजित भगवान को प्रकट करने के लिए मंदिर में विराजित परमात्मा के दर्शन करना जरूरी है।
उन्होंने कहा यदि आत्मा में पूर्ण ज्ञान है तो स्कूल, काॅलेज जाने की जरूरत क्या है लेकिन ज्ञान को प्रकट करने के लिए स्कूल, काॅलेज की जरूरत होगी ही। उसी तरह परमात्मा का हृदय मंदिर में प्रकटीकरण के लिए मंदिर जाना भी आवश्यक है। इसके लिए परमात्मा के दर्शन की उत्कंठा होनी चाहिये, तब ही उनके दर्शन मिलेंगे।
उन्होंने जम्बू स्वामी के जीवन चारित्र के बारे में बताया कि जम्बू कुमार प्रभव से स्वजनों व परिवार को छोड़ने की बात पर कहते हैं कि भवितव्यता का योग संसार के संबंधों को उलझाकर आगे ले जाता है। फिर संसार के उलझे हुए संबंधों का कोई औचित्य नहीं है।
संसार में कोई रिश्ता स्थायी नहीं है इसलिए उन सबको छोड़कर सुधर्मा स्वामी के साथ जुड़कर अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहता हूं। आचार्य ने कहा छोटे बच्चों में अच्छे संस्कार डालने के लिए उन्हें अच्छी लोरियां सुनानी चाहिए। कौशल्या माता रामचंद्रजी को व जीजाबाई शिवाजी को प्रेरणास्पद हालर्डा यानी लोरियां सुनाया करते थे जिससे वे आगे जाकर पराक्रमी बने।
12 नवम्बर को आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर चातुर्मास परिवर्तन के लिए भरत संघवी, महालक्ष्मी ज्वैलरी वालों के आवास जाएंगे जहां प्रवचन भी होंगे। शुक्रवार को प्रवचन के दौरान किलपाॅक संघ की ओर से मुमुक्ष प्रियंका नाहर का बहुमान किया गया। आचार्य ने मुमुक्ष को आशीर्वाद दिया और संयम जीवन में सफलतापूर्वक आगे बढने के लिए शुभकामना एवं प्रेरणा दी।
मुमुक्ष प्रियंका नाहर व स्वीटी नाहर की दीक्षाएं गणिवर्य इन्द्रजीत विजयजी महाराज की निश्रा में आगामी 30 जनवरी को नागौर, राजस्थान में होगी। शनिवार को साहुकारपेट स्थित जूना मंदिर के प्रांगण में इन मुमुक्षुओं के सम्मान में खजवाणा जैन संघ, चेन्नई की ओर से अभिनंदन समारोह आयोजित होगा।