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परमात्मा के शासन के अलावा संपूर्ण दुखों से मुक्त होना असंभव है: मुनिप्रवर श्री वैभवरत्नविजयजी म.सा.

परमात्मा के शासन के अलावा संपूर्ण दुखों से मुक्त होना असंभव है: मुनिप्रवर श्री वैभवरत्नविजयजी म.सा.

🏰☔ *साक्षात्कार वर्षावास* ☔🏰

     *ता :21/7/2023 शनिवार*

  🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भावन चेन्नई*

 🪷 *विश्व वंदनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत प.पू. युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के भव्य वर्षावास के इस प्रवचन में

 🪔 *विषय: अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7* 🪔

~ जब हमारी शारीरिक और मानसिक अनुकूलता हो तब यदि धर्म की सिद्धि हो जाए तो ही हमारा जीवन सफल है

~ इस मानव जीवन में हमारे मन में धर्म का, साधना का, परमात्मा का मूल्य कितना है? जितना ज्यादा मूल्य उतना ध्यान उसका ज्यादा होगा ।

~ जो मानव स्वयं के जीवन में प्रभु महावीर के अहिंसा धर्म को सिद्ध करता है उसके जीवन में कभी भी बड़ी पीड़ा, दुख होना असंभव है।

~हमारे जीवन में सुख के समय में प्रभु का महत्व कितना? और दुख के समय में प्रभु का महत्व कितना?

~ प्रभु महावीर स्वामी ने उत्तराद्ययन सूत्र में कहां है हे मानव यदि तुझे युद्ध करना ही है, जितना ही है तो स्वयं के मन के साथ युद्ध कर और धर्म के बल से मन पर विजय प्राप्त कर।

~ परम पूज्य प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्रसुरिश्वर्जी महाराज साहब ने स्वयं को दुख देने वाले तथा निंदा करने वाले जीव के लिए भी परम मैत्रीभाव, स्नेहभाव धारण किया था।

हमारी धर्म क्रिया वास्तविक है या नाटक है वह हमें ही देखकर हमारे जीवन में परिवर्तन और अध्यात्म की स्थिरता लानी ही चाहिए।

    *”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*

🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट,चेन्नई*🇳🇪

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