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ज्ञान वाणी

परमात्मा के धर्म को दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुंचाएं: उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

परमात्मा के धर्म को दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुंचाएं:  उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि

चेन्नई. शुक्रवार को श्री एएमकेएम जैन मेमोरियल, पुरुषावाक्कम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज ने पुच्छीशुणं श्रवण कराते हुए कहा कि व्यक्ति कई बार गुस्सा और पाप करने के बाद पश्चाताप कर उन्हें दोबारा न करने की सोचता है लेकिन उन्हें वह फिर से दोहरा रहता है और जीवन में ऐसा कई बार करता है।

सुधर्मास्वामी कहते हैं कि परमात्मा ने जिसका त्याग कर दिया वह पुन: उनसे हो नहीं पाया। उन्होंने उन बुरी बातों और पाप कर्मों का वमन के समान त्याग कर दिया। हम भी चाहते हैं कि कई बातों की पुनरावृत्ति हमारे जीवन न हो पाए तो हमें उनका वमन की भांति त्याग करना होगा तो हम उन्हें पुन: ग्रहण नहीं कर पाएंगे। जिसको हमारा शरीर और मन छोड़ दे तो उसे वह दुबारा ले नहीं लेता है। परमात्मा ने कहा है कि जीवन में दु:खों के चार ही कारण और चार ही समाधान बताए हैं।

पहला- अपनी क्रिया करने के कारण से आती है, दूसरा- न करने योग्य को करने से, तीसरा- सम्मान देने योग्य को सम्मान नहीं दिया और चौथा- जिसे नहीं जानना चाहिए उसे जानने का प्रयास किया। इनसे ही जीवन में सारे दु:ख आते हैं।

इनके चार ही समाधान बताए हैं। क्रिया से प्रॉब्लम है तो क्रिया से ही समाधान होगा। बच्चे को बचपन में बराबर संस्कार नहीं दिए तो समस्याएं आती हैं। जिसको सम्मान देना चाहिए था उसे नहीं देने से समस्याएं हैं। निन्दा से किया गया पाप वंदना से ही दूर होगा। जहां झुकना है वहीं पर झुक जाएं। जिसको जानने से कुछ नहीं मिलने वाला उसे जानने के लिए हम व्यर्थ प्रयत्न करते रहते हैं। ये समस्याएं जीवन में जहां है, जहां उन्हें पहचानें।

परमात्मा ने पाश्र्वनाथ के शासन से दो अनूठी बातें ली हैं। रात्रि भोजन का त्याग और ब्रह्मचर्य पालन। उन्होंने कहा है कि रात्रि भोजन न करने से दु:खों का क्षय होता है। उन्होंने दुनिया को कारण और परिणाम सभी दृष्टि से देखा है। सुधर्मास्वामी कहते हैं कि परमात्मा को जानना है तो उनके धर्म को जानें, समझें और हृदय में धारण करें। उन्होंने जो कहा है उस श्रद्धा से जो जीता है उसका कल्याण होता है। उजाला वहां करना चाहिए जहां अंधियारा है, परमात्मा के धर्म को दुनिया में सभी तक पहुंचाएं।

– सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की
चातुर्मास के अंतिम प्रवचन दिन उपाध्याय प्रवर ने कहा कि प्राणस्वरूप शक्ति का स्रोत तीर्थंकर परमात्मा और गुरुदेव आनन्दऋषिजी महाराज के आशीर्वाद से यह चातुर्मास काल पूर्णतया त्याग, तप और भक्ति के साथ श्रुत-रसिक श्रद्धालुओं की असीम आस्था का सफल समय रहा।
उन्होंने संघ, चातुर्मास समिति, एएमकेएम ट्रस्ट, अर्हम पुरुषाकार टीम, अष्टमंगल मेडिटेशन टीम, अर्हम मंत्रदीक्षा टीम, ब्लैशफुल कपल टीम, डिस्कवर योर सेल्फ, उड़ान टीम, अर्हम गर्भ संस्कार, बींग अर्हत टीम, अर्हम पैरेंटिंग टीम तथा सभी सहयोगी समितियों और सदस्यों के साथ-साथ सभी श्रावक-श्राविकाओं और सभी सहयोगी श्रद्धालुओं के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए पुरस्कार प्रदान किए।
चातुर्मास काल में समस्त तपस्यार्थियों को मोमेंटो प्रदान करने पर पप्पू लूणिया का सम्मान किया गया। चातुर्मास समिति चेयरमेन नवरतनमल चोरडिय़ा, धर्मीचंद सिंघवी, शांतिलाल सिंघवी, किशन तालेड़ा तथा जान्हवी ने अपने विचार प्रकट करते हुए गुरुदेव के प्रति आभार प्रकट किया।
२४ नवम्बर को सुबह सजोड़े सामूहिक भक्तामर पाठ के साथ चातुर्मास स्थल से गौतमचंद कांकरिया के निवास पर विहार और मरलेचा गार्डन, किलपॉक में प्रवचन कार्यक्रम रहेगा।

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