चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा की मनुष्य लाख गुणी केउ न हो अगर उसकी आत्मा अच्छी और परोपकारी नहीं है तो गुणवान होना भी व्यर्थ है।
जिसकी आत्मा परोपकार के मार्ग पर होती है उसका गुण अपने आप ही बढ़ता चला जाता है। परोपकारी बनना आज के समय मे सबसे कठिन कार्य होता है। लोग पढ़ लिख कर गुणवान तो बन जाते हैं लेकिन उनको पता नहीं होता कहा पर क्या बोलना है और क्या करना है।
ऐसे गुण का अंत मे कोई मतलब नहीं निकलता है। उन्होंने कहा कि भगवान के सानिध्य में रहने के बाद भी मनुष्य ने उनके गुणों को निहारा ही नहीं। अगर परमात्मा के गुणों को निहार लिया जाय तो समझो सांसारिक दुख कोसो दूर चले जायेंगे। परमात्मा की वाणी और गुणों को निहार कर गुरु भगवंतों ने स्वयं का कल्याण किया और दूसरो के कल्याण का उपदेस दिया।
अगर उन उपदेशों को ही सही से समझ लिया जाय तो कल्याण के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उपदेश सब नहीं देते है जो देते हैं तो उसको समझने का प्रयास करना चाहिए। बिना प्रयास के अगर सोचा जाए कि कुछ बदलाव होगा तो संभव नहीं है। जब तक परमात्मा के गुणों को निहार कर गुरु के उपदेश के अनुरूप कार्य नहीं करेंगे तब तक आत्मा का कल्याण नहीं होगा।
महासती जी का 2020 चातुर्मास बोलारम हैदराबाद मैं निश्चित किया गया है। संकट मोचन आनुपूर्वी कलश की बोली श्रीमती पिस्ताबाई मीठालालजी अशोककुमारजी महावीरचंदजी गौतमचंदजी तालेड़ा कोडम्बाक्कम निवासी ने ली है। संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किए।