चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने सोमवार कहा कि परमात्मा की वाणी भाग्यशाली लोगो को ही सुनने को मिलता है। जिनका सौभाग्य होता है वही गुरु वाणी का लाभ लेने के लिए आगे आते हैं। जिन वाणी सुनते सुनते जीवन मे ऐसे अहो भाव बनते है कि किस दिन मनुस्य अपने जीवन को समझने का प्रयत्न करेगा।
हमने दूसरो को तो बहुत समझा, लेकिन अब खुद को धर्म से जोडऩे का समय आया है। उन्होंने कहा कि लोगो को यह तो पता है कि किस मौसम में कौन सा कपड़ा पहना जाता है। लेकिन ज्ञानी कहते हैं कि जब तक आत्मा की परख नही करेंगे तो सब बेकार है। यह परख नही करेंगे तो जीवन का उद्धार नही हो सकता। यदि जीवन को पावन बनाना चाहते हैं तो परमात्मा की वाणी से अपनी आत्मा की परख कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस जीवन को समझने की आवश्यकता है।
जो भाग्यशाली आत्मा अपने जीवन के स्वरूप को समझ जाता है वह वास्तव में सबकुछ जान लेता है। सागरमुनि ने कहा कि अच्छा आचरण कर व्यक्ति महान बन सकता है। पाप करने की वजह से आत्मा नरक की ओर बढ़ता है। ज्ञान की आराधना के साथ चारित्र की आराधना भी करनी चाहिए क्योंकि मनुष्य भव में ही चारित्र का आराधना करना संभव है। मनुष्य की आत्मा ही उसके सुख दुख का कारण है। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।