कोडमबाक्कम वड़पलनी श्री जैन संघ जैन भवन के पावन प्रांगण में साध्वी सुधा कंवर म,सा के सानिध्य में महावीर भगवान की जीवनी की अंतिम देशणा एवं भाई दूज के बारे मे साध्वी सुयशाश्री धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा अपनी साधना में सिर्फ अपनी मंजिल ही प्राप्त नहीं की बल्कि साथ वालों को भी अपने मुकाम पर पहुंचाया! उनके भक्त उनके निर्माण को भी अपने सीढी बना लेते हैं!
नंदीवर्धन, परमात्मा के बड़े भाई यह सोचते हैं कि वर्धमान हर क्षेत्र में मुझसे बड़े हैं माता पिता की मृत्यु के समय बड़े भाई की बात मान कर अपना कर्तव्य समझकर 2 साल के लिए संयम अंगीकार नहीं किया। परमात्मा का कहना था कि जीवन की यात्रा अपने आप तय की जाती है दूसरों के सहारे नहीं की जाती है! नंदी वर्धन सोचते हैं के परमात्मा ने गौशालक, शूल पानी यक्ष, चन्दन बाला, गौतम स्वामी, सुधर्मा स्वामी, चण्ड कौशिक, वसुमती, इन्द्र भूति, यहां तक कि तिर्यंच की पीडा की भी परवाह की और अपने शरण में आए इन सबका उद्धार किया है तो मेरा भी उद्धार करेंगे! लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी पीड़ा प्रकट नहीं की और इधर भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण हो जाता है!
परमात्मा के इस अकस्मात निर्वाण से नंदी वर्धन के मन में असीम पीड़ा हो रही थी कि परमात्मा ने सबका ध्यान रखा सिर्फ अपने बड़े भाई का ध्यान नहीं रखा! नंदी वर्धन इस मानसिक पीड़ा से इतने व्यथित थे कि उन्होंने 2 दिन से कुछ भी नहीं खाया, वे सोचते कि वर्धमान ने हर बार इशारा किया था लेकिन “मैं” ही समझ नहीं पाया,उनकी बहन सुदर्शना ने जब राज महल में प्रवेश किया और अपने भाई की मनो दशा देखकर “भैया” कहकर पुकारा तो नंदी वर्धन को वर्धमान का बडे आदर से “भैया” कहकर पुकारना याद आया!
उन्हें समझाती है कि मैं आपका दुख महसूस कर सकती हूं, लेकिन परमात्मा तो अब निर्वाण कर चुके हैं,वे अपनी बहन के पास रुदन करते हैं कि वर्धमान ने सारे संसार का अंधकार मिटाया, जगत के बंधु बनने से पहले 30 साल तक हमारे बंधु बने रहे!बहन समझाती है कि आपके दुखी होने से आपकी पत्नी आपके बच्चे आपका परिवार और आपकी प्रजा दुखी है, और ये सब आपके साथ हैं, लेकिन वर्धमान के पास तो कोई भी नहीं है!
इसके बाद नंदी वर्धन भोजन करते हैं और भोजन के बाद उस कक्ष में नंदी वर्धन को चारों तरफ भगवान महावीर एवं वर्धमान दिखाई देते हैं! जहां पर भगवान महावीर चण्डकौशिक, गौतम स्वामी, सुधर्मा स्वामी, वसुमति, गौशालक, शूल पानी यक्ष का उद्धार करते हुये दिखाई देते हैं और इसी दिन को भाई दूज नाम से सम्बोधित किया जाता है! आज धर्म सभा में सिंगोली भीलवाड़ा,सूरत,और हनुमंत नगर बेंगलुरु से करीबन 100 जनों का संघ प्रवचन एवं दर्शन का लाभ लिया धर्म सभा का संचालन संघ के मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया!