श्री सुमतिवल्लभ नोर्थटाउन जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ में चातुर्मास के लिए विराजित आचार्य श्री देवेंद्रसागरजी की निश्रा में तप-जप एवं आराधना की जा रही है। इसी कड़ी में रविवार को तप की पूर्णाहुति पर तपस्वियों की शोभायात्रा निकाली गई।
यात्रा की शुरुआत प्रातः 9 बजे हुई। वरघोडे़ में आगे-आगे चल रहे चेन्नई के प्रसिद्ध बैंड ने अपनी सुर लहरियों से लोगों को काफी आकर्षित किया। बैंड के म्यूजिक से लोग इतने प्रभावित हुए कि अपने आप को रोक नहीं सके और नृत्य करके भक्ति की। वरघोड़ा में जैन समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
शोभायात्रा के लाभार्थी रतनबाई कुंदनमलजी बोकाड़िया परिवार भगवान को लेकर रजत रथ पर आसीन थे। भगवान के दोनों और नन्हे बच्चे चंवर ढुला रहे थे। युवावर्ग रथ को खिंचकर चल रहे थे। इसके पीछे साध्वीजी मंडल के साथ श्राविकाएं चल रही थी। आगे चार बग्घी पर तपस्वी सवार थे।शोभायात्रा नोर्थटाउन सोसायटी में घूमते हुए संघभवन पहुंची। यहां बहुमान कार्यक्रम हुआ।प्रवचन हाल में लाभार्थी परिवार एवं चातुर्मास समिति द्वारा बहुमान किया। सभी का बहुमान चाँदी के श्रीफल एवं तिलक लगाकर किया गया। शुरुआत में आचार्यश्री ने मंगलाचरण श्रवण कराया।
धर्मसभा में तप की महिमा का महत्व बतलाते हुए आचार्य श्री ने कहा कि अहिंसा, संयम एवं तप जिस व्यक्ति में विद्यमान है उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। जिस प्रकार मिट्टी में रहा हुआ स्वर्ण भट्टी में तपकर अपने शुद्ध स्वरूप को प्राप्त करता है, उसी प्रकार जीव तप रूपी अग्नि में तपकर अपने आत्मा के ऊपर लगे हुए कर्म मैल को दूर कर अपने शुद्ध स्वरूप अवस्था को प्राप्त कर मोक्ष का अधिकारी बनता है। तप के प्रभाव से परलोक तो सुधरता है इस लोक में भी कई आधि-व्याधि एवं उपाधि दूर हो जाती है।