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निर्मल मन से बोलने पर ही मिलेगी शांति : डॉ. वसंतविजयजी म.सा.

निर्मल मन से बोलने पर ही मिलेगी शांति : डॉ. वसंतविजयजी म.सा.
इंदौर। सांसारिक जीवन में मनुष्य का मन ही सबसे बड़ा प्रधान है। यदि प्राणी बुरे मन से बोलते है या कुछ समझकर करते हैं तो दु:ख उसके बराबर पीछे-पीछे चलता है ठीक उसी तरह जैसे बैल के पीछे गाड़ी का चक्का चलता हो और यदि प्राणी निर्मल मन से बोलेगा और फिर समझकर करेगा तो शांति ठीक वैसे ही पीछे चलेगी जैसे उसके पीछे चलने वाली छाया।
यह बात कृष्णगिरी पीठाधिपति राष्ट्रसंत डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने शनिवार को हृींकारगिरी तीर्थ धाम में चातुर्मास प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि व्यक्ति विभिन्न तरह के कर्म अपने जीवन में करता है, कर्म जिस तरह शुभ-अशुभ वह करेगा ठीक परिणाम भी उसी तरह शुभ-अशुभ ही होंगे और उनके अनुसार ही वह भोग भोगेगा। यदि हम कुछ भोगेंगे तो वह हमारे किए का ही फल हमें मिलेगा।
डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने यह भी कहा कि जो जैसा करेगा वैसा ही पाएगा, कर्म व्यक्ति के वश की बात है इसलिए हम जैसा चाहेंगे वैसा ही हमारा भविष्य बनेगा। भाग्य हमारे ही अधीन है।
श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी जय कोठारी व वीरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि इससे पहले सुबह के सत्र में शनिवार को संतश्री वज्रतिलकजी की निश्रा में प्रतिक्रमण व सामूहिक भक्तामर मंत्र जाप किया गया।
उन्होंने बताया कि धाम में ही प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पार्श्वनाथजी की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक लाभार्थी परिवार के सौजन्य से शनिवार को भी जारी रहा।
शांति एवं सम्पूर्ण सफलता पर डॉ. वसंतविजयजी म.सा. के विचार 11 को
सिद्ध साधक पूज्य गुरुदेव डॉ. वसंतविजयजी म.सा. की अमृतमय वाणी में रविवार, 11 अगस्त को हृींकारगिरी तीर्थ धाम में दोपहर 3 बजे से ‘सभी बाधाओं से पूर्ण सुरक्षा, शांति एवं सम्पूर्ण सफलता कैसे पाएं’ पर रविवारीय विशेष प्रवचन होंगे। ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि पूज्य गुरुदेव की दुर्लभ साधनाओं से प्राप्त ज्ञान के रहस्य का द्वार रविवार को हृीकारगिरी तीर्थ धाम में खुलेगा। उन्होंने बताया कि प्रवचन पश्चात् स्वामी वात्सल्य (भोजन) पर भी श्रद्धालू आमंत्रित है।

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