Share This Post

Featured News / Main Slider / ज्ञान वाणी

निरीक्षण,परीक्षण और शिक्षण का अवसर है चातुर्मास: जयधुरंधर मुनि

निरीक्षण,परीक्षण और शिक्षण का अवसर है चातुर्मास: जयधुरंधर मुनि

चेन्नई. वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा जिनवाणी का श्रवण करने पर साधक के भीतर परिवर्तन की लहर जागृत होती है। परिवर्तन ही चेतना का सूचक होता है।जो कर्म में शूर होता है वही धर्म में भी शूर बन सकता है।

जैसे व्यक्ति दिशा बदलता है वैसे ही उसकी दशा बदल जाती है। चातुर्मास निरीक्षण, परीक्षण और शिक्षण का अवसर होता है। निरीक्षण दूसरे व्यक्ति का नहीं अपितु स्वयं उनका करना चाहिए। श्रावक के चौथे गुण लोकप्रियता का वर्णन करते हुए कहा कि हर मनुष्य लोकप्रिय बनना चाहता है, लेकिन उसके लिए उसे सहयोग ,उदारता, मैत्री, ईमानदारी , कर्तव्यनिष्ठा ,सदाचार आदि गुणों को अपनाना होगा।

सिर्फ धन से लोकप्रियता हासिल नहीं हो सकती है, क्योंकि धन को लोग जान सकते हैं पर उसके लिए जान नहीं दे सकते हैं। बेईमान, धोखेबाज, अप्रमाणिक, भ्रष्टाचारी कभी लोकप्रिय नहीं बन सकता है।

जैनियों की प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए कहा कि जैनी अपने आचरण के कारण समस्त समाज में विश्वास पात्र होते हैं। उच्च पदों पर प्रतिष्ठित व्यक्तियों को निष्कलंकता के साथ अपनी प्रतिष्ठा, साख को बनाए रखना चाहिए। इस अवसर पर 16 सती साधना करने वाली 110 साधिकाओं का सम्मान शांतिलाल रुनवाल परिवार की तरफ से किया गया।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar