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निज स्वरूप पहचाने बिना, विश्व ज्ञान अधूरा : मुनि सुधाकरजी

निज स्वरूप पहचाने बिना, विश्व ज्ञान अधूरा : मुनि सुधाकरजी

धर्म गंगा में निष्णात हो रहे श्रद्धालु

  माधावरम्, चेन्नई 25.08.2022 ; आज का मानव संसार के अनेकों रहस्यो को पहचानने में सफल हुआ है। आकाश के ग्रह-नक्षत्रों से सम्पर्क बना रहा है, समुद्र की गहराई का अवगाहन कर रहा है। पर अपने आध्यात्मिक स्वरूप से दूर हो रहा है। इसके बिना बाहर का सारा ज्ञान बन्धन और पतन का कारण है। उपरोक्त विचार ज्ञान गंगा में निष्णात श्रद्धाशील श्रद्धालुओं को आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल में, पर्युषण पर्व के दूसरे दिन स्वाध्याय दिवस के अवसर पर मुनि श्री सुधाकरकुमारजी ने कहें।
मुनि श्री ने आगे कहा कि धार्मिक स्वाध्याय से अपने स्वरूप की सही पहचान संभव है।

जैन दर्शन में छह द्रव्य और नौ तत्व के रूप में तत्व ज्ञान की दो प्रणालियां है। वह द्रव्यों में विश्व व्यवस्था का ज्ञान है। नौ तत्वों में व्यक्ति के उत्थान और पतन तथा बन्धन और मुक्ति के रहस्यों का ज्ञान है। व्यक्ति के स्वरूप को पहचाने बिना विश्व का ज्ञान अधूरा है। इसलिए महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आईन्सटीन ने जीवन के अंतिम समय में कहा था- मैंने यह जन्म पदार्थ (ओब्जेक्ट) की खोज में बिता दिया, यदि अगला जन्म मिला तो मैं व्यक्ति (सब्जेक्ट) की खोज में लगाना चाहूँगा।

   अहिंसा, संयम, तप की त्रिवेणी से करें स्नान

विशेष प्रेरणा देते हुए मुनिश्री ने कहा पर्युषण पर्व अपनी सही पहचान करने का तथा आत्मा के साथ जुड़ने और जीने का महापर्व है। आज जब कि मानव दूर से निकट और निकट से दूर हो रहा है। तब इस पर्व की आराधना का बहुत महत्व है। भगवान महावीर से पूछा – कौन सा धर्म श्रेष्ठ है उन्होंने कहा – अहिंसा, संयम और तपस्या। उन्होंने किसी सम्प्रदाय का नाम नहीं लिया। हमें पर्युषण में अहिंसा, संयम, तप की त्रिवेणी में स्नान करना चाहिये।

मुनि श्री नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान करते हुए स्वाध्याय की प्रेरणा दी। तेरापंथ ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी श्री घीसुलालजी बोहरा ने बताया पर्युषण साधना शिविर सुव्यवस्थित रूप में चल रहा है। जिसमें ध्यान, योग, अध्यात्म की अनेक कक्षाओं का दिनभर समायोजन हो रहा है। मुनिश्री की प्रेरणा से नवकार मंत्र का अखंड जाप तेरापंथ स्कूल में प्रवर्धमान है। मंगलाचरण अनुकृति छल्लानी एवं दर्शना छल्लानी ने किया।

रात्रि कालीन प्रवचन में मुनिश्री ने आचार्य श्री भिक्षु के संप्रेषण शक्ति के अद्भुत, अप्रतिम घटनाओं से श्रद्धालुओं को अवगत कराया। सैकड़ों भाइ-बहनों ने पोषध व्रत की साधना की। प्रतिक्रमण उपासक जयंतीलालजी सुराना ने करवाया। तेयूप मंत्री श्री संदीप मुथा ने बताया आज प्रवचन में प्रातः 9:30 से 10:30 बजे अभिनव सामायिक का आयोजन किया जाएगा। जिसमें मुनि श्री ना ना प्रकार के आध्यात्मिक रहस्यों के प्रयोग कराएंगे। खुशी का रहस्य विषय पर मुनिश्री का विशेष उद्बोधन रहेगा। आनंद समदडिया ने सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी। आगामी सूचना श्री सुरेश रांका ने दी। अनेकों भाई बहनों ने तपस्या का प्रत्याख्यान किया।

समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती
मीडिया प्रभारी : श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई

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