रविवार 30 जुलाई 2023 को श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ,तमिलनाडु के तत्वावधान में स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट, चेन्नई में रविवारीय सामूहिक सामायिक में युवा स्वाध्यायी रत्न श्री निखिलजी कांकरिया द्वारा ” सेवा से सिद्धि ” विषय विशेष उदबोधन हुआ।
स्वाध्याय भवन साहूकारपेट चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में वीर पौत्र युवा स्वाध्यायी रत्न श्री निखिलजी कांकरिया ने रविवारीय सामूहिक सामायिक में “सेवा से सिद्धि” विषय पर विशेष उदबोधन देते हुए कहा कि चरित्र आत्मा हो या श्रावक जब स्वाध्याय या तप करने की इच्छा हो अवसर हो पर उस समय अगर सेवा का कार्य हो तो सेवा को प्रमुखता दी जानी चाहिए |
सेवा के तीन श्रेणियों को बताते हुए कहा कि जघन्य सेवा वो हैं कि मन में भाव रखना कि मैं सेवा करूँगा मेरी भी कोई सेवा करेगा | मध्यम सेवा की श्रेणी में कर्तव्य भाव से की जाने वाली सेवा हैं,जो श्रवण कुमार ने माता-पिता को कंधों पर उठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी | सर्वश्रेष्ठ सेवा की श्रेणी में सच्चे गुरु होते हैं जो अन्य को भी आत्म तुल्य समझ कर मोक्ष मार्ग में आगे बढ़ाते हैं |
सेवाभावी श्री शोभाचंद्रजी म.सा द्वारा आचार्यश्री विनयचंद्रजी म.सा की सेवा एवं स्वयं द्वारा प्रत्यक्ष रुप में देखे भावीआचार्य श्री महेन्द्रमुनिजी म.सा के द्वारा आचार्यश्री हीराचंद्रजी म.सा की सेवा के अनेक उद्दरण धर्मसभा में रखते हुए सेवा गुण से गुरु के दिल में स्थान प्राप्त करने के संस्मरण बताये।
भगवती सूत्र शतक दो के पांचवे उद्देश्क का उल्लेख करते हुए बताया कि गौतमस्वामी ने प्रभु महावीर से पृच्छा की, कि सेवा का क्या फल हैं प्रभु ने बताया कि सेवा से श्रवण और श्रवण से क्रमशः ज्ञान, विज्ञान, प्रत्याख्यान, संयम, अनाश्रव, तप, कर्मों का नाश, अक्रिया और फिर सिद्धि अर्थात मोक्ष प्राप्त होता हैं |
धर्म सभा में श्रावको में गौतमचंदजी चोरडिया, योगेशजी श्रीश्रीमाल, महावीरजी कर्णावट, आर नरेन्द्रजी कांकरिया, गणपतजी बाफना, महावीरचंदजी छाजेड़, ज्ञानचन्दजी बागमार, पारसजी खींवसरा, दिनेशजी खींवसरा, आशीषजी डाकलिया, प्रतीकजी डाकलिया, श्राविकाओं में सुशीलादेवीजी छाजेड़, अक्षिताजी कांकरिया, मनीषाजी डाकलिया की उपस्थिति प्रमोदजन्य रहीं|
श्रावक संघ के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्र कांकरिया ने बताया कि दैनिक रुप से प्रातः 8 बजे से सामूहिक सामायिक,समकित का संग मुक्ति का रंग पुस्तक पर स्वाध्याय व श्री ज्ञानचन्दजी बागमार व निखिलजी कांकरिया द्वारा जैन धर्म के विभिन्न विषयों व तत्वों के संग उतराध्ययन सूत्र पर रोचक उद्धबोधन गतिमान हैं | स्वाध्यायी बंधुवर श्री ज्ञानचन्दजी बागमार ने मंगल पाठ सुनाया | सेवा से सिद्धि विषय पर उद्धबोधन हेतु वीरपौत्र श्री निखिलजी कांकरिया व धर्मसभा में पधारे हुए श्रावक- श्राविकाओं के प्रति साधुवाद ज्ञापित करते हैं |
प्रेषक :आर नरेन्द्र कांकरिया, कार्याध्यक्ष श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु 24 / 25 बेसिन वाटर वर्क्स स्ट्रीट, साहूकारपेट, चेन्नई तमिलनाडु 600 001.