नास्तिक व्यक्ति से भी ज्यादा खतरनाक उन्मादी मानव होता है, क्योंकि नास्तिक तो अपना नुकसान करता है लेकिन उन्मादी स्वयं के साथ परिवार, समाज और देश का विश्व का ढांचा तहस-नहस कर दिशाहीन हो जाता है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में मंगलवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि धर्म के मार्ग पर चलने वाली पवित्र आत्मा मैं जब उन्माद सवार हो जाता है, तब उसके वशीभूत होकर धर्म के नाम पर धर्म की जाजम पर पाप और अधर्म का सेवन शुरू हो जाता है। विवेक रहित होकर पथ भ्रष्ट हो जाता है। उन्माद एक पागलपन है, जो मानव को शैतान और राक्षस बना देता है। मुनि ने कहा कि किसी भी निमित्त से हमारे में उन्माद आ जाता है, तो उससे विवेक का दीपक बुझ जाता है।
नशीली वस्तु का उन्माद तो थोड़े समय बाद उतर जाता है, लेकिन धर्मांधता, लोभ, मोह और क्रोध उन्माद मरते दम तक पीछा नहीं छोड़ता। उन्होंने कहा कि उन्माद पाप है, आत्मा का कट्टर शत्रु है और दुर्गति का मेहमान बनाता है। राष्ट्रसंत ने कहा कि महापुरुषों के नाम पर उन्माद को जीवन में स्थान देना, उनके सिद्धांतों को दफनाने के समान है।
विश्व का कोई भी धर्म उन्माद की इजाजत नहीं देता। यह अमानवीय कृत्य है और धर्मात्मा के लिए यह जहर से कम नहीं। उन्माद ही असहिष्णुता पैदा करता है, जो बारूद के ढेर से भी खतरनाक है। उन्माद और अपराध का संबंध चोली-दामन जैसा है। उन्मादी व्यक्ति सिद्धांतों को कुचलने में भी अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है।
गुणानुवाद सभा का आयोजन आज
तपस्वी घनश्याम मुनि का 28वां उपवास मंगलवार को रहा। कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया। आचार्य हीराचंद महाराज की साध्वी रतन कंवर के देवलोकगमन पर 5 सितंबर को महावीर सदन में श्रद्धांजलि स्वरुप गुणानुवाद सभा का आयोजन मुनि कमलेश के सान्निध्य में किया जाएगा।