श्री यस यस जैन संघ नार्थ टाउन के तत्वावधान में गुरुदेव जयतिलक मुनिजी म सा की पावन निश्रा में सामुहिक क्षमापना दिवस मनाया गया। साथ ही सभी तपस्यार्थीयो को कम्युनिटी हॉल में सामुहिक पारणा करवाया गया। जिसमें करीब 250 तपस्यार्थीयो ने पारणा किया। पारणे के लाभार्थी श्रीमती प्रेमकंवरजी स्व.सेठ साहब पुखराज जी खींचा परिवार, नार्थ टाउन थे उनका सम्मान किया गया।
महिला मण्डल सचिव ममता कोठारी ने क्षमापना के बारे में वर्णन किया। अध्यक्षा ललिता सबदडा ने क्षमा पर विचार व्यक्त किया। बंसीलाल डोसी ने पर्युषण पर्व में हुए कार्यक्रमों की जानकारी दी। महावीर लुणावत ने क्षमा पर स्तवन गाया । ज्ञानचंद कोठारी ने कहा कि ‘क्षमा देना और क्षमा लेना यही है पर्युषण पर्व का कहना’ । अनेक वक्ताओं ने क्षमा याचना के बारे में बताया। अध्यक्ष अशोक कोठारी ने कार्यक्रम का संचालन किया और सकल संघ से क्षमा याचना की।
तत्पश्चात गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने बताया कि क्षमा को हर धर्म में स्वीकार किया गया है चाहे व ईसाई हो, मुस्लिम हो, परन्तु जैन धर्म में क्षमा को मोक्ष मार्ग की प्रथम सीढ़ी कहा गया है जैसे कपडे को धोने के लिए साबुन की आवश्यकता होती है वैसे ही आत्म शुद्धि के लिए क्षमा याचना व क्षमा देना दोनो आवश्यक है। क्षमा को यदि आत्मा में धारण कर लिया तो आपकी आत्मा से कर्म मल निरन्तर दूर होते रहेंगे। इसलिए छोटे बड़े सभी को उनकी गलती के लिए एक क्षण की देरी करे बिना क्षमा दे देनी चाहिए और स्वयं की गलती के लिए भी उसी क्षण क्षमा मांग लेनी चाहिए। अन्यथा कषाय बढ़ता है जिससे भव भ्रमण बढ़ता है क्षमा के महत्व को समझ सभी को क्षमा धारण करने का लक्ष्य रख संसार के समस्त जीवों के प्रति मैत्री भाव रखना चाहिए।