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नाखुशी का नाम हटाओ: उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया

नाखुशी का नाम हटाओ: उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया

हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl

बंधुओं जैसे कि अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो जीवन में दो बातें नाखुशी का नाम हटाओ हर हाल में खुशी लेकर आओ अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो अपने जीवन से दो दुश्मन चिंता और गुस्से को हटा दोl अपने माचिस की तिल्ली अच्छी है अपने नीचे डंडी होती है अब और अपने भार का माता होता है हमारा शरीर डडी है और ऊपर माता है शेर हैl लेकिन माचिस की दिल में गड़बड़ी है जैसे ही हमें गुस्सा आग सुलग जाती है स्वयं को भी देखें जरा से बात के हिसाब लगी कि गुस्से की आज सूरत जाएगीl मेरी बहनों मेरे भाइयों यह तो माचिस की दिल्ली है इसमें थोड़ा कल नहीं है इसलिए थोड़ा सा घर्षण का लगती है आज से लिखा उड़ती है लेकिन हमारे पास तस्वीर भी है और अक्ल भी है फिर अपने दिमाग को माचिस की दिल्ली क्यों बनाते हो?

कृपया करके अपने दिमाग को माचिस की दिल्ली मत बनाओ थोड़ा सा संघर्ष है और भारत सुलगांव होते हैं उसे फोन साइड में रखो चिंता भी मत करोl डरो मत क्योंकि कल वही होगा जो तुम्हारे साथ होने वाला हैl जब दही होना है जो होना है उसे डाला नहीं जा सकता है तो होने में कैसा हस्तक्षेप तू तो राम सुमिर जग लाडवा दे हाथी चलते अपनी चाल से तो राम सुमिर चे लाडवा दे तो होना होता हैl उसको होने दो तुम तो केवल अपने हाल में मस्त रहोl

मेरा सुझाव है हर व्यक्ति अपने घर की छत पर झूला रखें जब भी मंजुला होते हैं छत पर चले जाओ और झूला चलो वहां पर एक लाइन जरूर टांग लेना हर हाल में मस्त रहो जब-जब टेंशन हो गुस्सा आए आप छत पर चले जाना और गीत खून बनाना शुरू कर देl इस तरह आप खुश रह पाओगे और आपका गुस्सा भेजो मंत्र हो जाएगा समझ लेना कि उसे समय का बोलने पर प्राप्त हो चुका है लाभ हुआ तो हर कोई खुश होता है लेकिन हानि हो जाए तो सभी दुखी होते हैंl सुख-दुख दोनों रहते हैं जिसमें जीवन नहीं होगा कभी दुख तो कभी जो ऊपर वाला भाषा भी के नीचे जल्दी जाओ कभी को धूप तो कभी जो भले ही दिन आते जगत में बुरे दिन भी आते हैंl कड़वे मीठे फल कर्म के यहां सभी बातें कभी से देख भी उल्टे बढ़ाते अजब समय के भाव कभी दुख तो कभी जो यह उटपटांग चलती रहती हैंl

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