गुरु पद्म- अमर कुल भूषण पंकज मुनि की निश्रा में एवं श्री एस. एस. जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में महापर्व पर्युषण की आराधना भव्यातिभव्य रूप से गतिमान है। शनिवार को आयोजित धर्मसभा में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए गुरुदेव ने कहा जब वासुदेव श्री कृष्ण महाराज ने 22 वें तीर्थंकर श्री अरिष्टनेमि भगवान से प्रश्न किया कि प्रभु! ये द्वारिका नगरी का विनाश किस प्रकार से होगा तो उन्होंने 3 कारण बताए – शराब का सेवन (नशे के कारण), द्वैपायन ऋषि के क्रोध के कारण और अग्नि के कारण। हालांकि उस विनाश लीला को टालने के लिए श्रीकृष्ण वासुदेव की प्रेरणा से आयंबिल तप होता रहा परंतु होनहार बलवान होती है। एक दिन किसी भी व्यक्ति ने आयंबिल तप किया नहीं और द्वैपायन ऋषि जो अग्निकुमार देव बने थे उन्होंने द्वारिका नगरी को जला कर भस्म कर दिया।
प्रश्न हो सकता है, कि-अग्नि कुमार देव ने द्वारिका नगरी को क्यूं जलाया? इस पर प्रकाश डालते हुए गुरुदेव ने कहा कि यदुवंशी कुमारों ने शराब का सेवन किया और उस नशे में उन्होंने द्विपायन ऋषि का अपमान और तिरस्कार तो किया ही साथ लात घूसों से उनकी पिटाई भी कर दी। तब द्विपायन ऋषि ने प्रतिज्ञा की-यदि मेरी साथ का फल हो तो अगले जन्म में मैं द्वारिका के विनाश का कारण बनूं यही दैपायन ऋषि फिर अग्नि कुमार देव बने और इन्होंने अग्नि के द्वारा द्वारिका का नाश किया। अब थोड़ा चिंतन करें विनाश लीला के पीछे मूल कारण क्या था यदि यादव कुमार शराब न पीते तो ऐसी दुर्घटना घटती। सच में नशा नाश की जड़ है। नशे के कारण केवल शरीर ही खोखला नहीं होता, अपितु पूरा समाज व देश ही कमजोर बनता जा रहा है। इस नशे की आदत से ऊपर उठने का प्रयास करें। और यदि आपको करना ही है तो फिर कमाई, पढाई का, सेवा और भक्ति का नशा करें। आज चाहे मदर टेरेसा हों या अब्दुल कलाम, कल्पना चावला हों या द्रोपदी मुर्मु, ये सब लोगों के लिए आदर्श बने हुए हैं। बस जीवन में ऐसा कोई नशा करें जो आपके जीवन को और आपके समाज व देश को उन्नत्ति की ओर ले जाए।