Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

नवकार महामंत्र में अनंत तीर्थंकर का पुण्य है: प्रवीण ऋषि

नवकार महामंत्र में अनंत तीर्थंकर का पुण्य है: प्रवीण ऋषि

Sagevaani.com/रायपुर। उपाध्याय प्रवर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में कई साधनाएं हैं, उन साधना के पीछे एक व्यक्ति रहता है। सारे मन्त्र किसी व्यक्ति के लिए हैं, लेकिन नवकार मंत्र किस व्यक्ति के लिए नहीं। अगर एक व्यक्ति को आप नमन करते हो तो उस व्यक्ति के पुण्य से जुड़ते हो। और जब आप एक अस्तित्व को नमन करते हो तो आप उससे जुड़ते हो। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि अगर आपने नमो लोए सव्व साहूणम का वंदन किया तो 2000 करोड़ साधुओं की मंगल कामना मिलेगी। आपने महावीर को वंदन किया तो उनके ही पुण्य कर्म से जुड़ोगे। अपने नमो अरिहंताणम बोला तो अनंत तीर्थंकर को नमन हो गया। नमो सिद्धाणं के माध्यम से आप अनंत सिद्ध के पुण्य से जुड़ते हैं। एक रास्ता बूँद से जोड़ता है और एक रास्ता सागर से जोड़ता है। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।

रविवार को लालगंगा पटवा भवन में प्रवीण ऋषि ने कहा कि कुछ लोग होते है जो पानी की टंकी रखते हैं, और कुछ लोग जीवंत झरने से संबंध बनाते हैं। टंकी से कोई कितना पानी निकल सकता है? जितना उसमे रहेगा। लेकिन झरने से आप जितना चाहे पानी निकाल सकते हैं, पानी आते ही जाता है। झरने का पानी कभी बसी नहीं होता हुए टंकी का पानी कभी ताजा नहीं होता है। नवकार मन्त्र एक झरना है, जिसकी महिमा कभी क्षीण नहीं होती है। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि अगर तीर्थंकर महाप्रभु को सिद्ध होना होता तो वे एक नवकारसी की तप में सिद्ध हो सकते थे, लेकिन वे 11 लाख साठ हजार मासखमण करते हैं। 1 लाख वर्ष की संयम की साधना और मासखमण का एकान्तर, मासखमण का पारणा किया और दूसरे दिन मासखमण शुरू कर लिया।

इतना करते समय ये लक्ष्य नहीं है कि मेरा कर्म क्षय हो जाए। उनका लक्ष्य एक ही है, कि मुझमे ऐसा सामर्थ्य आ जाए कि मैं दुनिया के हर जीव को धर्मी बना सकूं। तीर्थंकर बनने की तमन्ना नहीं है, सारे जीवों को पाप से मुक्त करने कर के लिए समर्थ बनूं यह तमन्ना है। तीर्थंकर का लक्ष्य मोक्ष नहीं था, उनका लक्ष्य लोगों को तिराना था। तीर्थंकर का लक्ष्य होता है कि मैं संसार के हर जीव को धार्मिक बनाऊं। जिन्होंने पंचपरमेष्ठी के प्रति एकांत भाव से समर्पण किया वो जानते हैं कि नवकार महामंत्र में अनंत तीर्थंकर का पुण्य है। और इस पुण्य को ग्रहण करने के बाद श्रीपाल ने जैसे ही पहले दिन साधना की, उसका कुष्ठ रोग ठीक हो गया।

रायपुर की धन्य धरा पर ‘उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना’ 24 से

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक महोत्सव का शंखनाद हो चुका है। पहले आनंद जन्मोत्सव मनाया, उसके बाद नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान का आयोजन किया। ये दोनों कार्यक्रम अद्भुत रहे। इन कार्यक्रमों से भी अद्भुत कार्यक्रम ‘उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना’ रायपुर की धन्य धरा पर होने वाला है।

उन्होंने कहा कि जिस भक्ति भाव से लोग आगे आ रहे हैं, यह कार्यक्रम भी अद्भुत और ऐतिहासिक रहेगा। 23 अक्टूबर को उपाध्याय प्रवर श्रुतदेव आराधना के बारे में विस्तार से बताएंगे। ललित पटवा ने समस्त लाभार्थी परिवारों को अपने परिजनों संग उपस्थित होने का आग्रह किया है। इसके बाद 24 अक्टूबर से 13 नवंबर तक उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना होगी जिसमे भगवान महावीर के अंतिम वचनों का पाठ होगा। यह आराधना प्रातः 7.30 से 9.30 बजे तक चलेगी। उन्होंने सकल जैन समाज को इस आराधना में शामिल होने का आग्रह किया है।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar