चेन्नई. संसार का हर प्राणी सुख पाना चाहता है। सुख की प्राप्ति पुण्य से होती है। प्रभु महावीर ने पुण्य उपार्जन के नौ मार्ग बताए हैं, उनमें सबसे पहला है अन्न पुण्य। अर्थात किसी भूखे को भोजन खिलाना। इसीलिए हमारे मनीषियों ने कहा नर सेवा ही नारायण सेवा है, जन सेवा ही जिन (भगवान) की सेवा है। यह विचार ओजस्वी प्रवचनकार डा. वरुण मुनि ने जैन भवन साहुकारपेट में व्यक्त किए। उन्होंने बताया आज के युग में चाहे शादी- पार्टियां हों या गौतम प्रसादी अथवा समाज के सामूहिक जीमन, लोग ऐसे समारोह में जितना खाते हैं उससे कई गुणा अधिक जूठा छोड़ देते हैं जो व्यर्थ ही नालियों में जाता है। साथ ही साथ यह अन्न देवता का अपमान भी है। एक ओर लोग देवी अन्नपूर्णा की उपासना करते हैं तो दूसरी ओर अन्न का इस प्रकार से तिरस्कार करते हैं।
कभी आपने उन लोगों का विचार किया है जो दो जून का भोजन भी प्रतिदिन ठीक से नहीं जुटा पाते। ऐसे वर्ग की स्थिति को देखकर ही हमारे आराध्य गुरुदेव श्रुताचार्य अमर मुनि म.ने अन्नदानं का यह कार्यक्रम प्रारंभ किया। गुरुदेव ने बताया पिछले लगभग 50 वर्षों से दादा गुरुदेव प्रवर्तक भण्डारी पदम चन्द्र म. की पावन जन्म जयंति विजय दशमी के दिन अन्न प्रसादम् का दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान आदि स्थानों पर अनेक संघों एवं गुरुभक्त परिवारों द्वारा आयोजन किया जाता है। इस वर्ष श्रमण संघीय युवाचार्य प्रवर महेन्द्र ऋषि की जन्म जयंति भी 5 अक्टूबर दशहरे के दिन आ रही है।
श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि की निश्रा में तथा श्री एस. एस. जैन संघ, साहुकारपेट तत्वावधान में विशाल अन्न प्रसादम का आयोजन होने जा रहा है। जिसमें सरकारी अस्पताल, कुष्ठ आश्रम, वृद्ध आश्रम, मेन्टल हास्पिटल आदि अनेक जन कल्याणकारी संस्थाओं एवं जरूरतमंद लोगों के लिए अन्न प्रसादम का वितरण किया जाएगा। जिसमें लगभग 6500 लोगों के लिए अन्न प्रसादम आयोजित करने की श्रीसंघ की भावना है।