जैन धर्म के पर्युषण महापूर्व की आराधना क्रम में स्वाध्याय दिवस पर बोलते हुए मुनि मोहजीत कुमार ने कहा कि स्वाध्याय का अर्थ अपने आप को जानने वाला ज्ञान। स्वाध्याय से ज्ञानावरणीय और दर्शनावरणीय कर्म क्षय होते है। स्वाध्याय व्यक्ति हेय ज्ञेय उपादेय का बोध कराता है। जीवन निर्माण और व्यक्तित्व विकास के पठन जरूरी है। नये विचारों का सृजन स्वाध्याय से होता है।
पर्युषण पर्वाराधना में स्वाध्याय की मौलिकता के सन्दर्भ में मूनि भव्य कुमार ने गीत प्रस्तुत किया। तीर्थंकर जीवन दर्शन के परिप्रेक्ष्य में मुनि जयेशकुमारजी ने भगवान ऋषभ द्वारा जीवन की विकास शील अवधारणा को आधुनिक शैली में प्रस्तुत किया। इस अवसर अनेक भाई-बहनों तप का प्रत्याख्यान किया। जप अनुष्ठान का क्रम सुचारू ढंग से चल रहा है। रात्रि में स्वरों का संधान कार्यक्रम में जूनियर वर्ग में पैसठ बच्चों ने भाग लिया। तेयुप के कार्यक्रम की समायोजना में राहुल जीरावला, प्रकाश रांका तथा नरेश चोपड़ा योगभूत बने । कार्यक्रम का संचालन प्रकाश रांका ने किया।
समाचार प्रदाता नवीन सालेचा (बालोतरा)