माधावरम्, चेन्नई 16.07.2022 ; आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि श्री सुधाकरजी ने जैन तेरापंथ नगर, माधावरम में नमोत्थुणं की प्रेरणा देते हुए श्रद्धालुओं को संबोधित करते हूए कहा नमोत्थुणं का पाठ शाश्वत है। स्वर्ग लोक के चौसठ इन्द्र व असंख्य देवी-देवताओं का परिचित पाठ है। नमोत्थुणं के पाठ से साधक के पाप कर्म का भी पुण्य कर्म में संक्रमण हो जाता है। शास्त्रों में ऐसे अनेकों उदाहरण मिलते हैं। सिद्धों व अरिहंतो की स्तुति व स्तवन से आधि, व्याधि और उपाधि से मुक्ति मिलती है। नमोत्थुणं का पाठ रोग-शोक का नाश करता है। इससे अद्भुत शक्ति व शांति की तरंगें पैदा होती है, जो वातावरण को भी आनंदमय, मंगलमय बना देती है। मुनि श्री ने आगे कहा नमोत्थुणं को प्रणिपात व शुक्रत्व के नाम से भी जाना जाता है।
मुनिश्री ने विवेचना करते हुए आगे कहा विनम्रता व समर्पण, धर्म का पहला मंत्र है। हमें अहम की नहीं अर्हम् की साधना करनी चाहिए। जो झुकता है, वह पाता है। हमें शत्रु का नहीं, शत्रुता का नाश करना है। नमोत्थुणं का पाठ करने वाला राग-द्वेष से ऊपर उठकर साम्ययोग का साधक बन जाता है। सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होती है। मुनि श्री ने कहा तीर्थंकर धर्म के अदिकर्ता हैं। नवनिर्माण के सूचक होते हैं।
मुनि नरेश कुमार ने कहा जीवन नश्वर है, एक श्वास का भी भरोसा नहीं है। पानी के बुलबुले के समान जीवन है। वह व्यक्ति धन्य होता है, जो अपने जीवन को समय रहते हुए धर्ममय बना लेता है। धर्म को हमें पगड़ी नहीं , चमड़ी बनाना चाहिए। तेरापंथ ट्रस्ट, माधावरम् मीडिया प्रभारी स्वरूप चन्द दाँती ने बताया नमोत्थुणं का सामुहिक अनुष्ठान 24 जुलाई रविवार को सुबह 9:30 से 11:30 बजे जय समवसरण, माधावरम् में तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में मुनिश्री सुधाकरजी के पावन सान्निध्य में आयोजित होगा।
स्वरुप चन्द दाँती
मीडिया प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट, माधावरम्
सहमंत्री
अणुव्रत समिति, चेन्नई
मीडिया प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ ट्रस्ट, माधावरम्
सहमंत्री
अणुव्रत समिति, चेन्नई