*स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*
विश्व पूजनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, युग दिवाकर श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा. के प्रवचन के अंश
🪔 *विषय अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7*🪔
~ श्री नमस्कार महामंत्र अनादि काल से था, वर्तमान में है, और अनंत काल तक रहेगा भी इसीलिए यह मंत्र शाश्वत मंत्र है।
~ जिसने श्री नमस्कार महामंत्र को सम्यक् रूप से पहचाना, पकड़ा, समर्पित किया, बहुमन भाव किया तो वह साधक भी नवकारमय यानि परमात्मा जैसा होता ही है।
~ श्री महामंत्र की भाव धार मेरे भीतर की चैतन्यता को प्रकट करता ही है इसीलिए यह मंत्र चैतन्य रूप है।
~ श्री नमस्कार महामंत्र वह परम गुण राशि है जिसके प्रभाव से हमारे जीवन में दोषों का मूलभूत क्षय और गुणों की प्राप्ति होती ही है।
~ श्री नमस्कार महामंत्र की साधना का फल अमरकुमार, नागकेतु, मयना- श्रीपाल चंदनबाला सभी को मिला तो हमें भी अवश्य मिल ही सकता है।
~ प्रभु महावीर स्वामी कहते हैं कि हमारी जप साधना, तप साधना, ज्ञान साधना तभी सफल हो सकती है जब हमारे मन के मलिन भावों का मूलभूत बदलाव हो।
~ जो साधक संसार के भावों में ही मगन होता है वह साधना कैसे करेगा।
~ प. पू. प्रभु राजेंद्र सुरीश्वरजी म. ने पूर्ण जीवन श्री नमस्कार महामंत्र को समर्पित किया इसीलिए वो हर पल नवकारमय( तत्वमय) हो गए।
~ हमें नवकार महामंत्र की साधना से आत्मज्ञान का ही लक्ष्य होना चाहिए।
~ जो मानव चमत्कार अंध श्रद्धा में जुड़ा रहता है उसका कल्याण प्रभु, सद्गुरु कोई नहीं कर सकता और वह श्री नमस्कार की साधना के लिए अयोग्य है।
*”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*
🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪