बेंगलुरु। आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने नकारात्मक भावों से परे उठने का मार्ग बतलाते हुए कहा कि एक समय वह भी था जब लोग कम पैसे कमाकर भी खुश रहते थे, वहीं भागदौड़ और प्रतियोगिता के इस दौर में अब लाखों-करोड़ों कमाने के बाद भी लोगों के चेहरे पर वह खुशी नहीं होती जो पहले हुआ करती थी।
लोग अपने काम से नाखुश हैं, अवसाद का शिकार हो रहे हैं। उनकी सोच सकारात्मक के बजाय नकारात्मक होती जा रही है।यहां अक्कीपेट जैन मंदिर के तत्वावधान में अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि कुछ बातें अपनाकर हम अपने अंदर से नकारात्मक सोच-विचार निकाल सकते हैं। आचार्यश्री बोले, हमें किसी भी परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए।
अपने दिमाग को सकारात्मक संदेश देते रहना चाहिए। इससे हमारे जीवन में आने वाली बड़ी से बड़ी कठिनाई भी हमें छोटी नजर आएगी। कठिन परिस्थितियों में भी अपने जीवन में आने वाली छोटी से छोटी खुशियों को याद करते रहना चाहिए, यकीनन आपके चेहरे पर मुस्कराहट आएगी।
इसके अलावा आप अपनी कुछ आदतों और तरीकों में बदलाव लाकर भी अपने दुख और परेशानी को दूर सकते हैं। उन्होंने कहा कि विचार से भाग्य को भी बदला जा सकता है और जीवन की तमाम समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।
विचार स्वयं पर और दूसरों पर धीरे धीरे बहुत गहरा असर डालते हैं। इसलिए नकारात्मक सोच छोड़ कर सकारात्मक सोच अपनानी चाहिए।