चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ. सुप्रभा ने कहा जो साधक शीत, उष्ण सहन करे वही सच्चा साधक है। शीत-उष्ण जीवन की अनुकूलता और प्रतिकूलता को कहा गया है। जिनमें धैर्य और सहिष्णुता है वही सफल, श्रेष्ठ, सामाजिक और आध्यात्मिक साधक है।
हमें सभी परिस्थितियों में धैर्य होना चाहिए। जो पहाड़ की चढ़ाई के शुरू में उत्साह लेकिन बीच की बाधा में नहीं घबराता वही चढ़ाई पूर्ण करता है। सहने वाला ही रहता है। किसी की बात सुनकर हंसी न उड़ाएं। प्रमाद के कारण महाभारत और रामायण जैसा विनाश हो जाता है। जिसे हम अपना समझ रहे हैं उन्हें पराया होते देर नहीं लगती, यही संसार है।
जीवन में सहिष्णुता, धैर्य, भाषा संयमित होनी चाहिए। किसी की बुराई उजागर न करें। हम जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करते हैं वैसा ही हमें प्राप्त होता है।
साध्वी डॉ.हेमप्रभा ने बताया सुबाहुकुमार प्रतिपूर्ण पोषध अंगीकार कर अपनी धर्मजागरणा में लगे हुए विचार करते हैं कि प्रभु जहां विचरण कर रहे हैं वहां के ग्राम, नगर, संयम अंगीकार करने वाले, धर्मदेशना सुननेवाले सभी परम भाग्यशाली जीव हैं, इस प्रकार वह शुभ विचारों के साथ प्रभु का आगमन हस्तीशीर्ष नगर में आगमन पर संयम अंगीकार करने की भावना भाता है।
जीवनज्योति जगाने के लिए तीन तत्व-चिंता चिता की तरह जलाती है, चिंतन दीपक की तरह जगमगाती है और चिदानन्द चांदनी की तरह झिलमिलाती है। चिंता शूल है तो चिंतन फूल है। आज हर व्यक्ति चिंताग्रस्त है।
जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन स्वयं से हारना नहीं चाहिए, अपने पुराने समय को याद कर चिंता को चिंतन का रूप दे दिया जाए तो चिंता के चक्रव्यूह से निकलकर प्रगति के मार्ग पर बढ़ा जा सकता है। जो आज पास में है उसका महत्व समझें, चिंतन चलेगा तो नया रास्ता मिल ही जाएगा।
शनिवार को गणगौर संस्था द्वारा कैंसर जांच शिविर, मध्यान्ह में प्रश्नोत्तरी होगी तथा टीम सिद्धा द्वारा त्रिदिवसीय आवासीय शिविर शुरू होगा।