राष्ट्रसंत का श्रीजी वाटिका में प्रवचन, 16 अक्टूबर को करेंगे कृष्णगिरी के लिए विहार
इंदौर। तमिलनाडु प्रान्त के विश्वविख्यात श्रीपार्श्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थधाम के पीठाधीपति यतिवर्य, परमाचार्य, राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने शनिवार को कहा कि व्यक्ति के जीवन में धर्म ही नहीं उसके साथ-साथ धर्म के संस्कारों का होना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन व्यक्ति को बहुत भवों में भटकने के बाद मिलता है।
इसे सार्थक बनाने की सीख देते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपनी संस्कृति, सभ्यता, नैतिकता एवं आदर्शों का पालन करना है। संतश्री यहां फूटी कोठी स्थित श्रीजी वाटिका में विशिष्ट साधना-आराधनार्थ विराजित हैं।
उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्कार जीवन भर की पूंजी होते हैं। गुरूदेव श्रीजी ने कहा, किसी भी विनयवान भक्त रूपी बालक को देखकर माँ प्रसन्न ही होती है और अपनी करुणामयी कृपा प्रदान करती है।
उन्होंने गुरुभक्ति के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि बतौर श्रावक उसकी सेवा भक्ति से यदि गुरु प्रसन्न नहीं है, तो लाख मन्नतें करने पर भी उसकी इच्छाएं पूरी नहीं हो सकती।
अपने प्रेरणादायी वक्तव्य में भक्ति को विस्तार से परिभाषित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि आज व्यक्ति का लक्ष्य बदल गया है, आज के इंटरनेट व तकनीकी के हाईटेक युग में इंसान परमात्मा से भी त्वरित गति से चाहना के परिणामो को हाथोंहाथ मोबाईल में किसी फीचर के डाउनलोड की तरह प्राप्त कर लेना चाहता है। संतश्री ने भाव प्रधानता का जिक्र करते हुए कहा कि श्रद्धालु के जीवन में थोड़ी सी भी भावपूर्वक की गई भक्ति प्रभु कृपा दिला देती है।
रितेश नाहर ने बताया कि बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं को मांगलिक आशीर्वाद एवं रक्षा सूत्र प्रदान किये। उन्होंने बताया कि संतश्रीजी के दर्शन वंदन के लिए मध्य प्रदेश, राजस्थान व महाराष्ट्र प्रान्त के अनेक शहरों से श्रद्धालुओं ने शिरकत की। गुरुभक्त नितेश जैन ने बताया कि राष्ट्रसंतश्रीजी 16 अक्टूबर को यहां से कृष्णगिरी के लिए विहार करेंगे।