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धार्मिक शिक्षा के बिना संस्कारों का शुद्धिकरण संभव नहीं : आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी

धार्मिक शिक्षा के बिना संस्कारों का शुद्धिकरण संभव नहीं : आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी

अक्कीपेट में वासुपूज्यस्वामी धार्मिक पाठशाला का रजतोत्सव..

बेंगलुरु। अक्कीपेट जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ में श्री वासुपूज्यस्वामी धार्मिक पाठशाला के रजोतत्सव में विभिन्न प्रकार के महोत्सवों के तहत पहले बालक बालिका मंडल द्वारा स्नात्र महोत्सव किया गया। इसके बाद मुंबई से आए हुए विधिकारक हेमेंद्रभाई ने जिनागमो की भक्ति करवाई।   
पूजन के अंतर्गत आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने पाठशाला की महत्ता को उजागर करते हुए कहा कि आज के इस भौतिक युग में धर्म के संस्कारों का लोप होता जा रहा है।
भौतिक पढ़ाई हेतु कई विद्यालय मौजूद हैं, उनकी संख्या में प्रतिदिन वृद्धि भी होती जा रही है। बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर जीवन में आगे बढ़ने के अवसर भी पा रहे हैं, मगर शांत, निर्मल, स्वच्छ, सुंदर जीवन, तनाव रहित जीवन का ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा रहा।
उन्होंने कहा कि अपने धर्म के मूलभूत सिद्धांतों की बगैर जानकारी के कई बच्चे धर्म से विमुख भी होते जा रहे हैं। धर्मनिष्ठ संस्कारों से आत्मा को पल्लवित किए बिना धर्ममय जीवन संभव नहीं है।
आचार्यश्री बोले, सम्यकज्ञान की ज्योति को विकसाने में संस्कार शाला का विशेष योगदान होता है। धार्मिक शिक्षा के बिना संस्कारों का शुद्धिकरण संभव नहीं है।
ज्ञान की प्याऊ जैसी संस्कार शाला, बच्चों को पवित्र पद पर स्थापित करती है। उन्होंने कहा कि जीवन जीने की कला सिखाती है संस्कार शाला-धार्मिक पाठशाला।
पाठशाला के अध्यापक मीठालालजी ने बताया कि रात्रि में रजोतत्सव के निमित्त परमात्मा की भक्ति का आयोजन भी किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।

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