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धर्म ही हमें जीवन में आगे बढ़ाने वाला है – युवाचार्य महेंद्र ऋषि

धर्म ही हमें जीवन में आगे बढ़ाने वाला है – युवाचार्य महेंद्र ऋषि

केएलपी अभिनंदन में हुआ जैन स्थानक का लोकार्पण

श्रमण संघीय युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी के सान्निध्य में शनिवार प्रातः हुए एक समारोह में केएलपी अभिनंदन अपार्टमेंट्स में जैन स्थानक का लोकार्पण हुआ।‌ उनका एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में चातुर्मास समापन के बाद‌ विहार कर केएलपी अभिनंदन स्थानकवासी जैन संघ में पदार्पण हुआ। समारोह के विशिष्ट अतिथि वीर भामाशाह सुनील खेतपालिया ने मंगलाचरण के साथ फीता काटकर स्थानक का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उपप्रवर्तिनी कंचनकंवरजी आदि ठाणा एवं मुनिश्री कल्याणप्रभ विजयजी महाराज की निश्रा मिली। चंदनबाला महिला मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।

इस मौके पर युवाचार्य भगवंत ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि समय रहते हुए जो व्यक्ति किसी अवसर को पहचान लेता है, वह जीवन में सफल होता है। स्थानक का वास्तविक अर्थ ठाणांग सूत्र से आता है।‌ जो श्रमण होते हैं, उन्हें ठाणा कहते हैं। स्थानक अपने आप से जुड़ने का स्थान है। जुड़ने का तात्पर्य यही है कि आपके साथ मिलना सार्थक हो गया। अपने आप से मिलने का अर्थ है धर्म साधना करना।

उन्होंने कहा हम जिस परिसर में रह रहे हैं, वहां धर्म स्थान होना भी जरूरी है। आपका स्थानक से जुड़ना महत्वपूर्ण है। केएलपी अभिनंदन के इस स्थानक की विशेषता बताते हुए उन्होंने कहा कि यह स्थानक एक विशेष है क्योंकि इसकी नींव खोदनी नहीं पड़ी। पानी, मिट्टी का उपयोग नहीं करना पड़ा। वहां के परमाणु सकारात्मक ऊर्जा से भरे है। वे परमाणु किसी भी समस्या से निजात पाने में सहायक बनेंगे।‌ उन्होंने कहा हमें रास्ता मिल सकता है, उसके लिए भाव होने चाहिए। वहां हम अधिक से अधिक पंच परमेष्ठि का स्मरण करें। यह आपकी और हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि आपकी भक्ति ही हमें यहां खींच लाई है। आप सब संकल्प करें कि जो सामायिक हम घर में करने वाले हैं, वह स्थानक में जाकर करेंगे। आपके कदम स्थानक में पड़ेंगे तो शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, वातावरण पवित्र बनेगा। हमें कहीं रुकना नहीं है।

उन्होंने कहा धर्म आराधना छत है और बिना छत मकान नहीं होता। छत हो और आंगन नहीं हो तो कोई बात नहीं। धर्म आराधना भिन्न- भिन्न रुप से की जा सकती है। धर्म के प्रति कोई उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। संस्कारों से जुड़े परिवार इस प्रकार धर्म आराधना कर रहे हैं और आपके यहां एक और स्थान उपलब्ध हुआ है, इस अवसर को चूके नहीं। धर्म ही हमें जीवन में आगे बढ़ाने वाला है। धर्म मतलब हमारे भीतर से स्वभाव में रहना, राग-द्वेष से दूर रहना। धर्म से जुड़कर जीवन के चरम, परम लक्ष्य को प्राप्त करें।

महासती दिव्ययशाश्रीजी ने कहा कि यह जीवात्मा 84 लाख भवों में भ्रमण करती है तो अपना स्थान निश्चित करती है। सांप बिल बनाता है तो चिड़िया घोंसला। हरेक को अपना घर चाहिए। आज विशेष यह है कि यहां धर्म स्थान आत्मा को परमात्मा बनने की ओर ले जाने वाला बना है। युवाचार्य भगवंत की पुण्य प्रेरणा से अल्प समय में यह स्थान बन गया। आप ध्यान रखें, इस स्थान को कभी ताला और जाला नहीं लगना चाहिए। धर्म स्थान का उपयोग कर जीवन को, आत्मा को निर्मल बनाना है। मुनिश्री कल्याणप्रभ विजयजी ने कहा कि व्यक्ति का कार्य से गुणगान होता है, परिचय मिलता है। आज जो खुशी आपके चेहरों पर है, वह सब कुछ दर्शाती है। केएलपी में आनंद, उल्लास का माहौल है। आप सबकी आध्यात्मिक आराधना आगे बढ़े, यही मंगल कामना।

स्थानक निर्माण के मुख्य सहयोगी सुनील खेतपालिया ने उद्घाटन समारोह में सम्मिलित होने के लिए सबका आभार जताया। वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के महामंत्री धर्मीचंद सिंघवी ने कहा कि आज गुरुदेव की प्रेरणा व आशीर्वाद से स्थानक का उद्घाटन हुआ। आपको धर्म ध्यान करने का सुंदर मौका मिला है। इस दौरान केएलपी स्थानकवासी जैन संघ के चेयरमैन प्रकाशचंद खींवसरा, अध्यक्ष कल्पतराज भंडारी, सचिव सुनील झामड़, कोषाध्यक्ष रुपसिंह चौधरी व अन्य पदाधिकारियों ने विशिष्ट अतिथि सुनील खेतपालिया, दीपचंद लुणिया (पप्पूसा), जैन कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी, वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु के अध्यक्ष सुरेश लुनावत, महामंत्री धर्मीचंद सिंघवी, मनीष परमार का सम्मान किया। महिला मंडल प्रमुख एवं युवा संघ के चिराग ललवानी ने भी अपने विचार रखे।

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