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धर्म सिद्धि के पांच लक्षण होते हैं: आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर

धर्म सिद्धि के पांच लक्षण होते हैं: आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर

किलपाॅक में विराजित आचार्य तीर्थ भद्रसूरिश्वर के शिष्य मुनि तीर्थ हंसविजय ने कल प्रवचन में कहा धर्म सिद्धि के पांच लक्षण होते हैं औदार्यम्, दाक्षिण्य, पाप की जुगुप्सा, निर्मल बोध एवं प्रायःजन प्रियत्व। औदार्यम् यानी उदारता या कृपणता का त्याग। शास्त्रकारों ने मन वचन और काया की उदारता बताई है।

किसी के गुणों को देखकर मन से अनुमोदना करना औदार्यम् है। अनुमोदना मन से की जाती है जबकि प्रशंसा बोलकर की जाती है। अनुमोदना करने में रुकावट वाला तत्व अहंकार है। अपने मन के दर्पण को साफ रखने से अहंकार टूट जाएगा। वचन की उदारता यानी किसी जीव को दो शब्द अच्छे बोलना।

आज सब जीव प्रशंसा के लिए लालायित रहते हैं। काया की उदारता यानी दूसरे जीवों को काया का सुख देना। जब आप बस में सफर करते हैं तो खड़े रहे व्यक्ति को एडजस्ट कर साथ में बिठा देना काया की उदारता है।

दाक्षिण्य यानी दूसरों के शब्दों का मान रखना। अकार्य की प्रेरणा को स्वीकार नहीं करना भी दाक्षिण्य का गुण है। आपने धर्म को हृदय से स्वीकार किया या नहीं यह पाप की जुगुप्सा दर्शाती है।
उन्होंने कहा पाप की सोच तीन प्रकार से होती है पहली बहुत लोग कर रहे हैं इसलिए हम भी कर रहे हैं। दूसरी, बहुत बार पाप होने पर भी उसका अहसास नहीं होना जैसे टाॅयलेट का कितनी बार उपयोग किया उसका अहसास नहीं होता।
तीसरा जो पाप रसपूर्वक करते हो जैसे मोबाइल फोन, टीवी आदि। आपको  पापों की एक लिस्ट बनाकर संवेदना प्रकट करनी चाहिए। उन्होंने कहा धर्म करना जितना आसान है उतना ही अधर्म का त्याग करना कठिन है।
आप जीवन में बड़े तप तो कर रहे हैं लेकिन कंदमूल और अभक्ष्य का कितना त्याग किया। उन्होंने कहा  पाप की जुगुप्सा ही अपथ्य का त्याग करने का मार्ग है। पाप का डर मन में अवश्य होना चाहिए। जीव से मैत्री करो या न करो लेकिन अमैत्री या द्वेष नहीं करना। अधर्म का त्याग करना उतना ही आवश्यक है। पाप की जुगुप्सा मन में वैराग्य की भावना लाती है।
उन्होंने कहा अधर्म का त्याग करना उतना ही जरूरी है जितना धर्म का आचरण करना। भूतकाल के पाप की चिंता, वर्तमान में पाप का आचरण व भविष्य के पाप की कल्पना कभी नहीं करनी चाहिए। निर्वेदता यानी संसार से कंटाल।
जब संसार पापमय दिखेगा तब ही निर्वेदता जगेगी। पाप की जुगुप्सा की शुरुआत आपके जीवन में हो यही शुभेच्छा। आचार्य की निश्रा में शनिवार से नवपद की आराधना शुरू होगी।

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