चेन्नई. पेरम्बूर जैन स्थानक में विराजित समकित मुनि ने कहा जो हमेशा धर्म में रत रहता है उसे देवता भी नमन करते हैं। जो अधर्म में लगे रहते हैं देवता उनकी पिटाई करते हैं यानी वह आत्मा नरकगामी हो जाती है।
जो बिना सोचे-समझे दान देता है वह शालिभद्र बनता है एवं ऋद्धियां उसके चरण चूमती हैं तथा जो सोचकर मांगता है वह केवली बनता है। आदमी के लाभ में जैसे-जैसे वृद्धि होती है उसका लोभ भी बढ़ता जाता है। मुनि ने कहा आदत छोडऩा कठिन काम है लेकिन बुरी से बुरी आदत से बाहर निकालने की ताकत धर्म में है।