Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

धर्म मानवता की आत्मा है : आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीजी

धर्म मानवता की आत्मा है : आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीजी
बेंगलुरु। धर्म एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है जो धारण करने योग्य होता है वही धर्म है। अब धारण करना गलत भी है और सही भी, पर आप क्या धारण कर रहे है ये आप पर निर्भर करता है।
उपरोक्त विचार आचार्य श्रीदेवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने शनिवार को यहां अक्कीपेट संघ के तत्वावधान में प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि धर्म सादगी, पवित्रता और अच्छे आचरण में है, दिखावे और भव्यता में नहीं। धर्म के नाम पर पाखण्ड करना, धर्म के नाम पर लोगों को फंसाना इन सब में हमारा ईमान बेचा जाता है।
आडम्बरपूर्ण जीवन जीने के लिए अनेक कष्ट करने पडते हैं और वैसे तो वह अनुकरनीय भी नहीं है । आचार्यश्री ने कहा कि धर्म में सरल पवित्र जीवन जीना एक सहज बात है। अगर हम इस बात को जीवन में अपनाते हैं तो कभी भी दूसरों के सामने झुकने का संदर्भ नहीं आता। धर्म मानवता की आत्मा है, ये एक निर्विवाद सत्य है |
अतीत में जाकर धर्म की बुराइयाँ ढूँढनेवाले उन्हीं पन्नों को ठीक से देखेंगे तो, एक बुराई के मुकाबले सौ अच्छाईयाँ दिखेंगी | कुछ गलत हुआ है तो वो धर्म से भटकाव है, धर्म नहीं । चाहे कौन सा भी काल आ जाए धर्म वही रहता है, जो भगवान महावीर का, जो भगवान श्रीरामचंद्र का, भगवान श्रीकृष्ण का था।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar