श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में कर्नाटक तप चंद्रिका प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने बताया दो तरह के क्षेत्र है धर्म क्षेत्र, शत्रु क्षेत्र। धर्म क्षेत्र में शत्रुता का नाश होता है, युद्घ क्षेत्र में शत्रु का नाश करते हैं।
धर्म करने में शूर अरिहंत के सिवा कोई नहीं है। रण में वासुदेव के समान अन्य कोई नहीं वे 360 युध्द करते हैं। क्रिया करो प्रतिक्रिया मत दो, एक्शन की रिएक्शन मत दो शत्रुओ के बीच रहकर भी उनसे डटकर सामना करो।
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने श्रावक के गुणों का वर्णन किया, गीतिका पेश की। अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने बताया कि श्राविका मंडल में गुप्त एकासन का आयोजन रहा।संचालन मंत्री हस्तीमल बाफना ने किया।