साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने पर्यूषण पर्व के पांचवें दिन सोमवार को कहा धर्म के मार्ग पर किसी को रुकावट नहीं बनना चाहिए। भगवान कृष्ण ने धर्म के क्षेत्र में लोगों को संबल दिया था। वेे अपने माता पिता के चरणों को ही चारों तीर्थ मानते थे। माता पिता जिनके घर में है समझो चारों धाम उनके पास है। ऐसे में लोगों को तीर्थ धाम जाने की जरूरत ही नहीं है। श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता पिता की जिस भावना से सेवा की उसी भाव से सभी को अपने माता पिता की सेवा कर अध्यात्म की ओर बढऩा चाहिए। मां बाप की सुंदर सेवा करने वाले ही मोक्ष की मंजिल पाते हैं। अपने कर्तव्य को कभी नहीं भूलना चाहिए।
परमात्मा का दिव्य जिनशासन संसार के प्रत्येक आत्मा को शांति और आनंद प्रदान करता है। पर्यूषण पर्व के दिवस का एक एक दिन निकल रहा है। इस दिन में अगर मनुष्य तप, ध्यान और धर्म कर ले तो दिन सार्थक बन सकता है। जीवन के विनाश से पहले ही मनुष्य को परमात्मा के चरणों में समर्पित होकर जीवन सुधार लेना चाहिए।
सागरमुनि ने कहा आचरण आत्मा को परमात्मा बना देता है लेकिन सबसे पहले श्रमण कर ज्ञान के प्रकाश को प्राप्त करना चाहिए। पर्यूषण यही संदेश लेकर आता है कि मनुष्य अपने प्रयासों से लोक के अंधेरे में उजाला करे। यह अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। इससे पहले उपप्रवर्तक विनयमुनि ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। धर्मसभा में संघ के अध्यक्ष आंनदमल छल्लाणी एवं अन्य लोग उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया। कोषाध्यक्ष गौतम दुगड़ ने बताया कि उपप्रर्वतक विनय मुनि और गौतममुनि के सानिध्य में मंगलवार को प्रवचन के बाद आचार्य शुभचंद्र के देवलोकगमन पर श्रद्धांजलि सभा होगी।