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धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाला बनता शीघ्र मोक्षगामी : साध्वी अणिमाश्री

धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाला बनता शीघ्र मोक्षगामी : साध्वी अणिमाश्री

टीपीएफ नवगठित टीम का हुआ शपथग्रहण

 आयम्बिल, एकासन मासखमण एवं अठाई के तपस्वियों का किया अभिनन्दन

तेरापंथ सभा भवन, साहुकारपेट में मोक्ष के पच्चीस बोलों में दसवें बोल का विवेचन करते हुए साध्वी अणिमाश्री ने कहा कि धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाला शीघ्र मोक्षगामी बनता है। श्रद्धा के साथ किया गया कार्य भाव क्रिया की श्रेणी में आता है और श्रद्धा के बिना करणी फलहीन द्रव्य क्रिया मात्र रह जाती है। सच्ची श्रद्धा के लिये क्रिया के साथ मन, वचन और काया के भावों का जुड़ना आवश्यक है। श्रद्धा व शील का भी जोड़ा माना जाता है। सच्ची श्रद्धा वाला व्यक्ति ही शील धर्म का पालन कर सकता है।
 

मोक्ष के ग्यारहवें बोल के बारे में साध्वीश्री ने बताया कि धर्म ध्यान व शुक्ल ध्यान शुद्ध मन से ध्याये तो जीव शीघ्र मोक्षगामी बनता है। ध्यान के चार प्रकार हैं -आर्त्त, रौद्र, धर्म व शुक्ल ध्यान। ध्यान का सरल अर्थ एकाग्रता है। वियोग की स्थिति में जीव आर्त्त ध्यान की ओर प्रवृत्त होता है। जबकि जर, जोरू और जमीन के विवाद रौद्र ध्यान के कारण बन सकते हैं। आर्त्त व रौद्र ध्यान से कर्म बंधन होता है। शुक्ल ध्यान एक बड़ी साधना है, जो कि साधारण जीव के लिये दुष्कर है। अतः जीव के लिए अपनी आत्मा के उत्थान हेतु धर्म ध्यान की अधिकतम साधना करना काम्य है।
जनमानस को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि कर्म किसी को नहीं छोड़ते। महाभारत में भीष्म पितामह के भव से 43 भव पहले सारथी के रूप में उनके जीव ने एक दुमुंही (सर्प जाती का जीव) को दम्भवश उठाकर दूर फेंक दिया था। वह कांटों की बाड़ पर जाकर गिरी और तड़फते हुए प्राण त्याग दिये। परिणाम स्वरूप भीष्म को नुकीले बाणों की शैया पर कष्ट भोगना पड़ा।


नवगठित तेरापंथ प्रोफेशनल फॉर्म की टीम के शपथ ग्रहण पर कहा कि प्रोफेशनल लोग अपने सुनियोजित, समयबद्ध कार्ययोजना से संघ-संगठन के विकास में सहभागी बने। नये संघ सेवकों की खोज के साथ पुरानो को भी सक्रिय बनाए।
  साध्वी सुधाप्रभा ने धर्म सभा को जीवन में आध्यात्मिकता अपनाने के आह्वान के साथ तपस्वियों की अनुमोदना में साध्वीवृन्द ने भावपूर्ण संगीत का संगान किया।
  

मंगलाचरण अभातेयुप जैन संस्कार स्वरूप चन्द दाँती ने किया। टीपीएफ के नवमनोनित अध्यक्ष राकेश खटेड़ ने अपने आगामी कार्यकाल में करणीय कार्यों की रुपरेखा प्रस्तुत करते हुए अपनी टीम की घोषणा की। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कमलेश नाहर ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। निवर्तमान अध्यक्ष डॉ सुरेश सकलेचा ने नवीन टीम को बधाई के साथ कार्यभार सौपा। दक्षिण भारतीय अध्यक्ष श्री दिनेश धोका ने टीपीएफ के चारसूत्रीय आयामों का उल्लेख किया। सभा मंत्री गजेन्द्र खांटेड़, निवर्तमान अध्यक्ष विमल चिप्पड़ इत्यादि ने एकासन मासखमण तपस्वी माँ-बेटा ललिता एवं चेतन कोठारी, आयंबिल मासखमण (31) श्रीमती त्रिशला डोशी और अठाई करने वाली सुश्री रिनिशा पिरोदिया का सम्मान किया।
           

स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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