महापुरुषों ने कभी कल्पना तक नहीं की होगी कि जिसको उन्होंने त्याग तपस्या समर्पण प्रेम और सद्भाव के साथ संपूर्ण मानव समाज को एकता के सूत्र में पिरोया आज उन्हीं के नाम पर उनके उपासक कन कन में बिखर जाएंगे।
शायद अब जीवित होते तो इस दुर्दशा को देखकर सदमे से ही दम तोड़ देते उत्तर विचार राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में एकता का आव्हान करते हुए कहा कि अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाना पर्युषण पर्व मनाना। यहां तक की दो कार्तिक मास आ जाते हैं तब दीपावली जैसा त्योहार भी एक महीना आगे पीछे तक मनाने को मजबूर हो जाते हैं।
धर्म के नाम पर बिखराव से जनता ने उपहास के पात्र बनते हैं युवा पीढ़ी ने अनास्था पैदा हो जाती है। सामान्य जनता भी हंसी उड़ाती है कई धर्म की ओट में टकराव और बिखराव महापुरुषों को मानने वाले उनके के उपासक अपने हाथों अलग-अलग गुटों मे मना कर जनता की आस्था को तार तार करने का पाप तो नहीं कमा रहे हैं।
मुनि कमलेश ने कहा कि ऐसा प्रसंग आने पर संत और विद्वान जन बंद कमरे में बैठकर आपस में समन्वय स्थापित करके जनता के बीच एक ही दिन प्रस्तुत करें। इससे बढ़कर और कोई धर्म नहीं हो सकता जैन संत ने कहा कहा कि एक ही परमात्मा के उपासक जब परस्पर विरोधाभास में जीते हैं।
ऐसे विचारों में टकराव पैदा होता है और वह हिंसा की जननी होता है। कुछ शरारती तत्वों ने अपनी नेतागिरी के लिए यदि अलगाव पैदा किया है तो उनके खिलाफ हम सब मिलकर संयुक्त मोर्चा खोलें उनको मजबूर कर दे। एक साथ एक दिन मनाने के लिए तभी हम सच्चे उत्तराधिकारी कहलाने के हकदार बनेंगे।
1 दिन पहले मना ले तो कोई मोक्ष रुकता नहीं 1 दिन बाद बना ले मिलता नहीं। जब तक सद्भाव के भाव हमारे दिलों में महापुरुषों के प्रति प्राणी मात्र के प्रति नहीं छल के गे तब तक हम आस्तिक नहीं बन पाएंगे। उसके बिना कठोर से कठोर साधना भी आत्मोद्धार में सहयोगी के बजाय कर्म बंधन काही कारण बनेगी।
श्वेतांबर मूर्तिपूजक गुरुदेव विनय सागर सूरी श्वर जी मुनि रवि पदम सागर जी ने कहा कि अखंड मूर्ति पूजनीय होती है। इसी प्रकार समाज की एकता और अखंडता जिसके दिल में बसी होती है या इसके लिए जो प्रयास करता है।
वही महान धार्मिक है तपस्वी घनश्याम मुनि जी के आज 29वा उपवास है। दोनों गुरु भगवंतों ने तपस्या की साता पूछी श्री कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री अक्षय चंद जी भंडारी मंत्री डॉक्टर जी एस पिपाडा मंजू सुराणा मंजू भंडारी जगदीश जैन सभी ने गुरु भगवंतों का आत्मीय अभिनंदन किया।