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धर्म की सुरक्षा ही वास्तविकता से स्वयं की सुरक्षा है: मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.

     🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*

 🪷 *विश्व वंदनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, दीक्षा दाणेश्वरी प.पू. युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश

   🪔 *विषय श्री अभिधान राजेंद्र कोष भाग7*

~ यदि हमे जीवन में धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा करनी है तो हमें सर्वप्रथम धर्म, राष्ट्र को सत्य रूप से समझना ही चाहिए।

~ जो मानव धर्म, राष्ट्र, समाज, परिवार की महत्वता समझता है वह उनके हित के लिए सब कुछ बलिदान दे ही सकता है।

~ हमारे मन में पैसा, हीरा, सोना का महत्व होता है इसलिए सुरक्षा होती है वैसे ही जीव की, धर्म की महत्वता होगी तो उसकी सुरक्षा भी होगी।

~हमारे (शरीर, वचन, मन) का उपयोग यदि धर्म की श्रेष्ठता के लिए हो रहा है तो (शरीर, वचन, मन )निखर जाएगा और नहीं हुआ तो बिखर जाएगा।

~ धर्म की सुरक्षा ही वास्तविकता से स्वयं की सुरक्षा है।

~ जब तक जान है तब तक जहान है यानी जब तक हमारे भीतर में प्रभु का ज्ञान है तब तक हमारा जीवन सुख, शांति, समाधि वाला ही होगा।

~ प्रभु महावीर स्वामी ने इंसान का जीवन ही सर्वश्रेष्ठ जीवन कहा है क्योंकि मानव चाहे तो वह भगवान का अवतार रूप हो ही सकता है।

~ जिन लोगों ने भोजन का मोह, संसार के सुखों को त्याग किया है और सन्यास जीवन लेते हैं वह लोग इस पृथ्वी के साक्षात भगवान है।

~प. प. प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वरजी महाराजा ने जगत को समझाया कि हमारे जीवन में यदि धर्म की रक्षा, शासन की रक्षा, राष्ट्र की रक्षा का जुनून है तू ही हमारा जीवन सफल होगा।

    *”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*

🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪

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