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धर्म का पहला द्वार है क्षमा: कपिल मुनि

धर्म का पहला द्वार है क्षमा: कपिल मुनि

संवत्सरी महापर्व का आयोजन

चेन्नई. विरुगम्बाक्कम स्थित एमएपी भवन में विराजित कपिल मुनि के सानिध्य व श्री एसएस जैन संघ के तत्वावधान में बुधवार को सामूहिक क्षमापना कार्यक्रम हुआ। इस मौके पर मुनि ने कहा कि अहिंसा जैन धर्म का हृदय है तो क्षमा उसकी धडक़न है। धर्म का पहला द्वार है क्षमा।

विश्व शांति की बात करने के पहले हमें अपने जीवन की शांति पर चिंतन करना चाहिए। बगैर क्षमा अपनाये जीवन में अमन चैन स्थापित नहीं हो सकता। इस क्षमा के कार्यक्रम को महज रीति रिवाज के तौर पर न मनाकर दिल से मनाएं। क्षमा के आदान प्रदान में अहंकार सबसे बड़ी बाधा है।

सही मायने में क्षमा की परिपालना और आराधना तभी संभव होगी जब हम अहंकार को महत्व देना बंद करके प्राणिमात्र के प्रति प्रेम को चरितार्थ करेंगे। हम उनके साथ क्षमा याचना करें जिनके साथ हमारी अनबन और रंजिश है। क्षमा के अभाव में व्यक्ति के जप तप की आराधना सफल नहीं होती जीवन में हल्कापन महसूस करने के लिए सॉरी, प्लीज और धन्यवाद को आत्मसात करना चाहिए।

अहंकार एक ऐसा वायरस है जो हमें आवेश ग्रस्त बनाकर दूसरों के प्रति कठोर बर्ताव करने के लिए मजबूर करता है। संघ के मंत्री महावीरचंद पगारिया ने भी क्षमा याचना की।

इस मौके पर अष्ट दिवसीय नवकार महामंत्र अखण्ड जाप की पूर्णाहुति पर जाप कलश के लाभार्थी मईलापुर के पन्नालाल बैद परिवार का संघ द्वारा सम्मान किया गया।

इस मौके पर कमलचंद बैद, पन्नालाल धोका, प्रतापचन्द बैद, पदमचंद बैद, प्रकाशचंद गोलेछा, नेमीचंद लोढा, मीठालाल पगारिया, महेन्द्र कुमार बैद, भागचंद चुतर, मनोहरलाल रांका, संदीप पगारिया, अरुणा बैद, लता कोचर उपस्थित थे।

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