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धर्म का अधिकार किसे कहते हैं? : परम पावन डॉ. श्री गौतममुनिजी म.सा. 

धर्म का अधिकार किसे कहते हैं? : परम पावन डॉ. श्री गौतममुनिजी म.सा. 

अच्छा कर्म पुणे से है – परम पावन श्री वैभवमुनिजी म.सा. 

जालना : हमने कई लोगों को कुर्सी के लिए लड़ते देखा है. हर आदमी अधिकार का प्रयोग करना चाहता है| जब कुर्सी पर बैठा व्यक्ति कुर्सी छोड़ता है तो उससे कितने लोग पूछते हैं| प्यार में जकड़ी इस दुनिया में हमें हर तरफ स्वार्थ का बाजार नजर आता है| धर्म क्या कहता है? धर्म को हृदय के पास रखो, मन को शुद्ध रखो, अशुद्ध मन से किए गए किसी भी काम को धर्म स्वीकार नहीं करता| ईसा पूर्व डॉ| श्री| गौतम मुनिजी एमएससी उन्होंने यहां बात की| वे गुरु गणेश नगर के तपोधाम में चातुर्मास के अवसर पर आयोजित प्रवचन को संबोधित कर रहे थे| इस समय, बेंच पर उपदेश प्रभावक श्री दर्शन प्रभाजी म.सा. सेवाभावी श्री गुलाबकंवरजी म.सा. सेवाभावी श्री हर्षिताजी म.सा. यह मौजूद थे|

आगे बोलते हुए, डॉ. श्री गौतम मुनिजी म.सा. उन्होंने कहा कि आज हम ऐसे लोगों को नहीं देखते हैं जो शुद्ध हृदय से कार्य करते हैं| कुर्सी को साफ रखें, लेकिन मन को शुद्ध और अच्छा रखें| इसके बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी| धर्म को हृदय में लगाना है तो पहले हृदय को शुद्ध करो| आंतरिक सफाई हमेशा बेहतर होती है| अगर आपका मूड अच्छा नहीं है तो आपको कुर्सी पर बैठने का अधिकार किसने दिया? दूध का डिब्बा सुंदर नहीं होना चाहिए| यह सुंदर है, लेकिन अगर आप इसमें कचरा डाल दें तो क्या होगा? यानी क्रोध, लोभ, घृणा का बल मत लाओ| अपने आप में क्षमता का निर्माण करें| यदि एप्टीट्यूड बनाया जाए तो बहुत सारे प्रश्नों को हल किया जा सकता है| लेकिन दुर्देव घृणा से भरे हुए हैं और दूसरों को मारने का काम कर रहे हैं| आप जानवरों और पक्षियों को क्यों मारते हैं? एक राजा की तलवार चमकीली हो सकती है लेकिन वह जातियों के बीच भेद या भेद नहीं करती है| हत्या को रोकने के लिए धर्म की जरूरत है और धर्म के लिए मन शुद्ध और शुद्ध होना चाहिए| मनुष्य बुद्धिमान होते हुए भी किसी काम का नहीं, जब तक कि वह हृदय की सच्चाई को प्राप्त न कर ले| गुरु देव द्वारा बताए गए मार्ग को स्वीकार करें, ज्ञान प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है| ऐसे में पैसा काम नहीं आता| तुम कितने अमीर हो यह देखा भी नहीं जाता| देखा जाता है कि आपका दिमाग अच्छा है या नहीं| ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि गंगाजल मिलाने से पानी शुद्ध हो जाएगा| धर्म का अधिकारी बनना है तो अपना चरित्र अच्छा रखो| आषाढ़ के आने से पहले ही किसान अपने खेत का सारा काम कर रहा है| वह जानता है कि बारिश आ रही है| बारिश हुई तो बुवाई करनी पड़ेगी| वह बोने पर ही दो बीज प्राप्त करने की अपेक्षा करता है| धर्म के साथ भी ऐसा ही है| अच्छे कर्म करने का मन हो तो अपने भीतर के कसाई को किनारे करने की कोशिश करें| जीवन को आसान और सुंदर बनाएं| अंत में डॉ. गौतम मुनिजी म.सा. कहा

इससे पहले, परम पावन वैभवमुनिजी म.सा.उन्होंने दिपासूत्र पर आधारित विषय पर बहुत अच्छा मार्गदर्शन भी दिया| उन्होंने कहा कि नर्तक भी स्वर्ग का अहसास पाने के लिए नाचने लगते हैं| इस अति सुंदर नृत्य को देखकर देवताओं को भी इंद्र के दरबार का आभास हो जाता है| आगम सूत्र कहता है कि बीस हजार सीढ़ियॉं चढ़नी पड़ती हैं| हम घर में एक कदम जल्दी नहीं चढ़ते, लेकिन बीस हजार सीढ़ियां कब चढ़ेंगे| लेकिन भगवान के घर में कुछ भी अंधेरा नहीं है| अगर 20,000 सीढ़ियॉं भी हैं, तो भी हम उन पर आसानी से चलने की शक्ति स्वत: ही प्राप्त कर लेते हैं| हालांकि, नियम का पालन किया जाना चाहिए| इसके बिना हमें ऐसी शक्ति नहीं मिलती| आस्था होनी चाहिए| हमारा राज्य सुरक्षित होना चाहिए| अगर हमें ऐसा लगता है तो हमें धर्म के नियमों का पालन करना चाहिए| कोरोना काल में जैनियों की तरह सभी की आंखों पर पट्टी बंध गई| मैं अपना मुंह खुला नहीं रख सकता था| यह पवित्र भूमि है| यह भी कहा कि इस स्थान पर धर्म का आदर किया जाता है, जो बहुत अच्छा है| ईसा पूर्व वैभवमुनिजी एम. सा इस समय कहा| इस समय श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के पदाधिकारी, श्रावक-श्राविका बड़ी संख्या में उपस्थित थे|

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