चेन्नई. कोडम्बाक्कम वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा जीवन में अहिंसा, संयम और तप होने पर धर्म उत्कृष्ट होता है। कहने मात्र से धर्म में सफल नहीं हुआ जा सकता, उसके लिए बहुत त्याग करना पड़ता है।
जो जीवन में अहिंसा, संयम और तप उत्पन्न करते हैं उनका जीवन अपने आप ही ऊंचाइयों पर पहुंच जाता है। जीवन में दिखाने के लिए कोई भी काम नहीं करनी चाहिए।
परमात्मा के सामने मनुष्य की कोई वैल्यू नहीं है, लेकिन फिर भी सच्चे मन से धर्म करने वालों को देवता नमन करते हंै। चिंतन करने का विषय है कि अगर सच्चे मन से धर्म करने पर देवता नमन करते हैं तो धर्म मे लीन होने से क्या हो सकता है।
धर्म करना आसान नहीं होता है। दिखावे का धर्म तो बहुत आसान होता है लेकिन सच्चे दिल से करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन देवता बनने के लिए अंतरात्मा शुध्द होनी चाहिए।
हिंसा करने वालो की आत्मा भटकती रहती है और अहिंसा के मार्ग पर चलने वाले मोक्ष में चले जाते हैं। अब तय मनुष्य को करना है कि मोक्ष में जाना है या भटकना है।
धन और धर्म दोनों की राशि एक होती है। सांसारिक कमाई से दूर होकर धर्म की कमाई के पीछे जाना चाहिए तभी इस जीवन का कल्याण होगा।