चेन्नई. कोडमबाक्कम वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा कि परमात्मा ने धर्म के मार्ग बतलाये हैं तो उस पर चले बिना जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है। जिनका मन धर्म मे लगता है उनका जीवन बदल जाता हैं। प्रभु कहते हैं कि मनुष्य को धर्म पर विश्वास रखना चाहिए।
अगर धर्म पर विश्वास रख आगे बढ़ा जाएगा तो निश्चय ही धर्म मनुष्य को मायूस नहीं होने देगा। जितनी सच्ची भावना से धर्म की जाएगी उतना ही जीवन सुखद होता चला जाएगा। धर्म मनुष्य को कभी भी दुखों के मार्ग पर नहीं ले जाता है। यह मार्ग ऐसा है जिसमें जीवन बदलना निश्चित हैं।
उन्होंने कहा कि जीवन मिला है तो इसको अगर धर्म के कार्य में नहीं लगाया तो यह कीमती भव बेकार हो जाएगा। एक भव बेकार किया तो यह मौका दोबारा नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि धर्म आज भी श्रेष्ठ है और आगेे भी श्रेष्ठ ही रहने वाला है। इस मार्ग पर जाने से मनुष्य को श्रेष्ठ फल की ही प्राप्ति होती है।
जो धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं उनकी आत्मा बदल रही है। जिंदा रहकर स्वाद लेने के लिए यह जिंदगी नहीं मिली है, बल्कि धर्म के मार्ग पर चल कर आत्मा की शुद्धि के लिए मिली है। इसलिए असली जिंदगी उसी की है जो धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं। बिना धर्म के जीवन जीना संभव नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि जब मनुष्य के रोम रोम में धर्म बस जाएगा तो उसका आनंद आना शुरू हो जाएगा। यदि मनुष्य धर्म करता है तो उसकी आत्मा उज्जवल हो जाती है। धर्म करने वाला मनुष्य महान होतेे है। जीवन को महान बनाना है तो धर्म के मार्ग पर बढ़ें। उन्होंने कहा कि महापुरुषों ने बतलाया है कि यदि मनुष्य धर्म करता है तो वह श्रेष्ठ है।
लेकिन मानव जीवन मिलने के बाद भी धर्म नहीं करता हो उसका जीवन पशु समान हो जाता है। बिना इसके जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है। साथ मे अगर कुछ जाएगा तो वह धर्म है। इसलिए धन के पीछे भागना छोड़ कर धर्म के पीछे चलना चाहिए। ऐसा करने वालो का जीवन बदल जायेगा।