आध्यात्मिक क्लास में जैन साध्वियों ने धर्म के छिपे हुए रहस्यों को स्पष्ट किया
शिवपुरी। प्रतिदिन सुबह उठकर परमात्मा का स्मरण और उन्हें धन्यवाद क्यों देना चाहिए। क्यों प्रतिदिन कोई ना कोई नियम अवश्य लेना चाहिए। ऐसे तमाम सवालों के उत्तर पोषद भवन में जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी और उनकी 5 सुशिष्याओं की धर्मसभा में जानने को मिल रहे हैं।
सोमवार को धर्म सभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि भगवान महावीर ने धर्म को उत्कृष्ट मंगल बताया है, लेकिन धर्म क्या है? यह जानना बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि धर्म करने का नहीं, बल्कि जीने का नाम है। धर्मसभा में साध्वी जयश्री जी ने श्रावक के 12 गुणों का उल्लेख करते हुए कहा कि न्याय और नीति से जो धन कमाया जाता है वह अच्छे और पुण्य कार्यों में लगता है। धर्मसभा में सवाई माधौपुर राजस्थान से पधारे धर्मावलंबियों ने जैन सतियों के दर्शन और जिन वाणी श्रवण का लाभ लिया।
धर्मसभा में साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि आप सब लोग मंदिर जाते हैं, माला फेरते हैं, संवर और सामयिक करते हैं, भगवान की आरती करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं। मैं आपसे पूछती हूं कि क्या यह धर्म है? इस पर धर्मसभा में उपस्थित धर्म प्रेमियों ने अपने-अपने तरीके से अलग-अलग जवाब दिया, लेकिन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि यह सब जो आप करते हैं वह धर्म नहीं है, बल्कि धार्मिक क्रियाएं हैं। यह धार्मिक क्रियाएं भी आवश्यक हैं, क्योंकि इसी के माध्यम से आप धर्म से जुड़ते हैं।
अपनी बात को एक उदाहरण से स्पष्ट करते हुए साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि बच्चा जब शुरू-शुरू में स्कूल जाता है तो उसे आप कहां भेजते हैं। इस पर जवाब आया कि प्ले ग्रुप में फिर एलकेजी फिर यूकेजी और इसके पश्चात कक्षा 1 में बच्चे का दाखिला होता है।
साध्वी जी ने कहा कि धार्मिक क्रिया बच्चों को प्लेग्रुप में भेजने के समान है ताकि मनोरंजन के माध्यम से ही सही पढ़ने के प्रति उसकी लगन बढ़ सके। साध्वी जी ने कहा कि धर्म सिर्फ क्रियाओं के करने का नाम नहीं, बल्कि जीने का नाम है। ऐसा धर्म जो जिया जाता है वहीं उत्कृष्ट मंगल है और ऐसे धर्म में जीने वाले को देवता भी नमस्कार करते हैं। फिर धर्म क्या है? इसे भी साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने बताया है कि अहिंसा, संयम और तप धर्म है और ऐसे धर्म का आचरण करने वाला उसे अपने जीवन में उतारने वाला ही धार्मिक है। ऐसे धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा जाता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो मंगल बहुत हैं, लेकिन सर्वोत्कृष्ट मंगल धर्म है। धर्मसभा में साध्वी वंदनाश्री जी ने मेरा जीवन मोह की मदिरा पीके रह गया, मन तो बनके इंद्रियों का दास बन गया…भजन का सुमधुर स्वर में गायन किया। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने कहा कि जिस तरह से हम सांस लेना नहीं भूलते उसे तरह धर्म को नहीं भूलना चाहिए।
धर्मसभा में सवाई माधौपुर से पधारे धर्मावलंबियों का हुआ सम्मान
धर्मसभा में सवाई माधौपुर राजस्थान से बस में सवार होकर 50 जैन श्रावक-श्राविकाएं जैन साध्वियों के दर्शन और उनके प्रवचन सुनने के लिए पधारीं। सौभाग्य नवयुवक मंडल सवाई माधौपुर के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन और स्थानकवासी जैन समाज सवाई माधौपुर के मंत्री पदम कुमार जैन का जैन श्रीसंघ के संजय लूनावत, नरेन्द्र कोचेटा, संजय जैन और विजय पारख ने सम्मान किया।
वहीं सवाई माधौपुर जैन महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती सुजाता अशोक चौधरी और रमणीक बालिका मंडल की अध्यक्षा कु. इतिश्री अशोक चौधरी का स्वागत श्रीमती सुनीता कोचेटा, श्रीमती विमला सांखला, श्रीमती वीणा कोचेटा और श्रीमती सुलोचना श्रीमाल ने किया।