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धर्मोपदेश से बढ़कर जगत में कोई बड़ा उपकार नहीं है – आचार्यश्री उदयप्रभ सूरीजी

धर्मोपदेश से बढ़कर जगत में कोई बड़ा उपकार नहीं है – आचार्यश्री उदयप्रभ सूरीजी

किलपाॅक जैन संघ में विराजित योगनिष्ठ आचार्य केसरसूरी समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यश्री उदयप्रभ सूरीश्वरजी ने प्रवचन में कहा कि परोपकार में सबसे श्रेष्ठ उपकार धर्मोपदेश है। इससे बढ़कर जगत में कोई बड़ा उपकार नहीं है। दानधर्म की महिमा का उपदेश धर्मोपदेश से मिला है। धर्मोपदेश देकर सम्यकज्ञान का दान सबसे बड़ा उपकार है। उपदेश बिना किसी को ऊपर लाना मुश्किल है। उपदेश शब्द जैन धर्म में बहुत प्रचार, प्रसार के साथ आया हुआ है।

उन्होंने कहा जो वचन जीवन की प्रगति करे, बुद्धि की परिपक्वता बढ़ाए, व्यक्ति के पुण्य में वृद्धि करें, पवित्रता का बीजारोपण करें, प्रवज्या के भाव उत्पन्न करें, परमपथ की ओर ले जाए, ऐसे वचन प्रवचन यानी धर्मोपदेश होते हैं। महावीर भगवान् ने अंतिम श्वास तक देशना देकर धर्मोपदेश दिया। उन्होंने कहा प्राचीन महापुरुषों का समय शास्त्रों की काव्य रचनाओं में जाता था। ज्ञानदान महान् उपकार है। उपदेश जैसा कोई उपकार नहीं होता है। उन्होंने कहा सबसे बड़ा उपद्रव कर्म की स्थिति है। परमात्मा ने सारे कर्मसमूह को जलाकर नाश कर दिया। मंत्र चैतन्य शक्ति है। ज्ञान के अभाव में व्यक्ति जीवदया का पालन भी सही तरीके से नहीं कर पाता।

उन्होंने कहा दिवाली महावीर भगवान् का निर्वाण कल्याणक है। निर्वाण अनंत, अतुलनीय, अखंड, अक्षय सुख है। गौतमस्वामी का 2550वां केवलज्ञान दिवस मंगलवार को है। गौतम स्वामी के पास लब्धि से ज्यादा उपलब्धियां थी। संपत्ति, वैभव, सत्ता लब्धि है तो दान, सदाचार, तप-त्याग, समाजसेवा, गुरुभक्ति आदि उपलब्धि है। उपलब्धि भावीजीवन का निर्माण करती है। उन्होंने कहा अंतःकरण से किया हुआ धर्म पूरा फल देता है। हमें सम्यक्त्व दृढ़ रखना चाहिए।

परमात्मा जब दीक्षित हुए तब अकेले थे, केवलज्ञान हुआ तब अकेले थे और निर्वाण हुआ तब भी अकेले थे। उनकी पहले देशना निष्फल गई थी। अगर प्रभु के साथ ऐसी घटनाएं हुई है तो हमारे साथ तो कुछ भी हो सकता है। उन्होंने कहा कीचड़ में जिस तरह सुगंध नहीं मिलेगी, वैसे ही संसार में सुख नहीं मिलेगा। सत्य को अवसर पर बोलना ही चाहिए। अवसर नहीं हो तो मौन रहना चाहिए। कई बार असत्य बोलने से नुकसान नहीं होता और कई बार सत्य भी उससे ज्यादा नुकसान कर देता है, अगर वह बिना अवसर का बोला जाए। उन्होंने कहा सत्य को भी योजनाबद्ध तरीके से बोलना चाहिए। सतर्क करने वाली बात को सकारात्मकता से लेनी चाहिए। परमात्मा और हमारे पुण्य में बहुत फर्क है, हम इसकी तुलना नहीं कर सकते।

राजस्थान कॉस्मो क्लब (आरसीसी) फाउंडेशन की ओर से दिवाली के अवसर पर शनिवार प्रातः चेतपेट स्थित टीएनएफडीसी इको पार्क के 51 कर्मचारियों के परिवारों को शर्ट, साड़ी एवं मिठाई का डिब्बा उपहार स्वरूप दिया गया। फाउंडेशन के सचिव राहुल बोहरा, गौतम जांगड़ा, दिलीप गादिया और आशीष चौरड़िया ने ये उपहार दिए।

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