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ज्ञान वाणी

धर्माराधना से परिपूर्ण हो जीवन : आचार्य श्री महाश्रमण*

धर्माराधना से परिपूर्ण हो जीवन : आचार्य श्री महाश्रमण*

*केन्द्रीय मंत्री श्री विजय सामला ने किये आचार्य श्री महाश्रमण के दर्शन

माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि दो प्रकार की आराघना होती है – धर्म की आराधना एवं केवली की आराधना|

श्रावक बारह व्रत, सामायिक, पौषध, साधु – साध्वीयों की सेवा उपासना इत्यादि निर्वध कार्य करता है, यह धर्माराधना हैं| साधु ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप की निरअतिचार साधना करता है वह भी धर्माराधना हैं|

आचार्य श्री ने आगे कहा कि चौदह पुर्वधारी श्रुत केवली, अवधि ज्ञानी, मन:पर्यवज्ञानी और केवली के द्वारा की गई आराधना केवली आराधना कहलाती है|

आचार्य श्री ने राजा सिद्धराज जयचन्द द्वारा व्यवहार में रहते हुए मैं कैसे धर्माराधना करू? इस प्रश्न के उत्तर में आचार्य श्री हेमचन्द्र ने राजा को पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जो अपने जीवन में इन बातों की सम्यक् आराधना करता है, वह धर्माराधना कर सकता है –

1. सुपात्र शुद्ध साधु को दान देना,

2. गुरु (धर्माचार्य) के प्रति विनय का भाव रखता है,

3. सब प्राणियों के प्रति अनुकंपा रखता है,

4. न्यायपूर्ण नीति रखना (न्याय मार्ग के प्रति निष्ठावान रहना),

5. दूसरों के हित की कामना रहना, उसमें सहयोगी बनना,

6. सत्ता, धन, लक्ष्मी, पद का घमण्ड नहीं करना,

7. संत, सज्जनों की संगती करना|

आचार्य श्री ने साधकों को प्रेरणा देते हुए कहा कि इन सात बातों का अपने जीवन में पालन करने वाला सामान्य गृहस्थ भी धर्म की आराधना कर सकता है|

आचार्य श्री ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि व्यक्ति के जीवन में कोई भी कष्ट आये, धन को छोड़ना भी पड़ जाए, पर देव, गुरु, धर्म के प्रति अपनी श्रद्धा को नहीं छोड़ना चाहिए| धर्म वह कपड़ा नहीं, जो बदला जा सके| जबकि वह आत्म के साथ घुला-मिला होना चाहिए|

धन तो यहीं रहने वाला है, प्राण जाये तो जाये, लेकिन धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए, वहीं अगले जन्म में साथ चलने वाला है| अत: साधक का जीवन धर्माराधना में संलग्न रहे ताकी परम् पद की और अग्रसर हो सके|

साध्वी प्रमुखाश्री ने श्रद्धालुओं को आत्मचिंतन करते हुए स्वकल्याण की और अग्रसर होने की प्रेरणा दी|

आज से प्रारम्भ “भिक्षु स्मृति साधना” के साधकों को निरध संकल्प स्वीकार करवाये|
तपस्वीयों ने तपस्या स्वीकार की| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार ने किया|

*केन्द्रीय मंत्री श्री विजय सामला ने किये आचार्य श्री महाश्रमण के दर्शन

केन्द्रीय मंत्री श्री विजय सामला सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय , भारत सरकार ने आज माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर में आचार्य श्री महाश्रमण के दर्शन सेवा कर उपासना की|

आचार्य श्री महाश्रमण ने मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि अंहिसा यात्रा के त्रिसूत्रीय आयामों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इसमें माध्यम से नैतिकता, ईमानदारी, नशामुक्ति आदि सद् गुणों को जन जन तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्प हैं| मंत्री श्री विजय सामला ने त्रिआयामों की सराहना करते हुए कहा कि हमारा मंत्रालय इस पर चिंतन कर क्रियान्विती के लिए आपके पास प्रारूप तैयार कर आप के श्री चरणों में प्रेषित करेंगे|

केन्द्रीय मंत्री ने साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा एवं अन्य चारित्रिक आत्माओं के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया| आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ ने केन्द्रीय मंत्री का अंगवस्त्र एवं साहित्य द्वारा सम्मान किया|

इस अवसर पर बंगलूर चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचन्द नाहर चेन्नई सभा मंत्री श्री विमल चिप्पड़, श्री राजेश कोठारी, तेयुप अध्यक्ष श्री भरत मरलेचा प्रचार प्रसार विभागाध्यक्ष स्वरूप चन्द दाँती इत्यादि उपस्थित थे|

स्वरूप चन्द दाँती
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति

संयोजक : जैन संस्कार विधी
प्रभारी. : मिडिया
तेरापंथ युवक परिषद्, चेन्नई

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