भारत के गौरवान्वित होने पर निकाला गया लकी ड्रा
Sagevaani.com @शिवपुरी। शिवपुरी में चातुर्मास कर रहीं प्रसिद्ध जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी की धर्मसभा में चंद्रमा के दक्षिण धु्रव पर भारत के चंद्रयान की सफलता पर खुशियां मनाई गईं। साध्वी रमणीक कुंवर जी और साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बधाई देते हुए कहा कि भारत के लिए चंद्रयान की सफलता एक ऐतिहासिक अवसर है। दक्षिण धु्रव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया है।
इससे पूरा भारत गौरवान्वित है और इसके लिए दिन रात चंद्रयान की सफलता में जुटे वैज्ञानिक और देश का नेतृत्व कर रहे प्रधानमंत्री मोदी बधाई के पात्र हैं। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि यह भी क्या सुखद संयोग है कि कल ही हमने अपनी गुरुणी मैया चांदकुंवर जी महाराज की पुण्यतिथि मनाई और कल ही भारत के चंद्रयान के कदम चंद्रमा पर पड़ गए। चंद्रयान की सफलता पर समाजसेवी तेजमल सांखला और धर्मेन्द्र गूगलिया ने खुशी मनाते हुए लकी ड्रा का आयोजन किया।
धर्मसभा में साध्वी पूनमश्री जी ने नवकार मंत्र की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मंत्र नहीं, बल्कि महामंत्र है और इसकी सफलता चमत्कारिक है। लेकिन इसके लिए नवकार महामंत्र का जाप विधि विधानपूर्वक किया जाना चाहिए। इसे स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि द्रव्य शुद्धि, क्षेत्र शुद्धि, काल शुद्धि, आसन शुद्धि, विनय शुद्धि, मन शुद्धि, वचन शुद्धि और काया शुद्धि के द्वारा इस मंत्र का यदि जाप किया जाए तो बड़े से बड़ा चमत्कार भी संभव है।
साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने आज के प्रवचन में ध्यान की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने चार प्रकार के ध्यान आद्र ध्यान, रौद्र ध्यान, धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान बताए हैं। इनमें पहले दो प्रकार के ध्यान अशुद्ध ध्यान हैं जबकि दूसरे दो प्रकार के ध्यान शुद्ध ध्यान है। ईश्वर की भक्ति धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान से करनी चाहिए।
रौद्र ध्यान को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जब हमारी ईष्ट वस्तु या ईष्ट व्यक्ति का वियोग होता है तो रौद्र ध्यान उत्पन्न होता है। उन्होंने इस बात पर दुख जाहिर किया कि आज अधिकांश लोगों की ईष्ट वस्तु धन संपत्ति, सोना-चांदी और जमीन जायदाद हैं। इनके लिए व्यक्ति अपने रिश्ते नाते को भूल जाता है। भाई भाई के बीच इस नश्वर संपत्ति के लिए झगड़ा है। इनके लिए इंसानियत और मानवता भी हम भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि ईष्ट व्यक्ति के वियोग के कारण ही हमें आद्र ध्यान होता है। ईष्ट व्यक्ति क्या है? इसे स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि समय-समय पर ईष्ट व्यक्ति बदलते रहते हैं। पहले माँ ईष्ट थी फिर खिलौने, दोस्त, पत्नी और पुत्र तथा नाती ईष्ट हो जाते हैं।