Sagevaani.com/चैन्नई। सत्य ही ईश्वर है और ईश्वर ही सत्य है गुरूवार को जैन भवन साहुकारपेट में महासती धर्मप्रभा ने आयंबिल ओली तप की तपस्या करने वालें साधको और श्रध्दालुओं को श्रीपाल चारित्र का वांचना हुए कहा कि धरती पर कोई भी जीव अमर नहीं है। शरीर का अस्तित्व आत्मा के बिना नहीं है और आत्मा का अस्तित्व होते हुए भी उसे अनुभव नहीं किया जा सकता है।
इस सत्य को मनुष्य जितना जल्दी स्वीकार लेवें और मानकर जीवन जीने लग जाए तो वह संसार के दुखों से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। साध्वी स्नेहप्रभा ने भगवान महावीर स्वामी की अंतिम दिव्य देशना श्रीउत्ताराध्यय श्रुतदेव के नवे अध्याय अज्यझयणं नमिपव्वाज्जा का वर्णन करतें हुए कहा कि आत्मा भगवान के समान है और शरीर दुःख के समान है इस संसार मे मनुष्य स्वार्थ को रोता है जीवन को खो देता है। आत्मा पर विजय प्राप्त करने वाला मनुष्य ही अपने जीवन को सार्थक बनाकर श अपनी आत्मा को संसार मे जन्म लेने से छुटकारा दिलवा सकता है।
साहुकारपेट श्री संघ के कार्याध्यक्ष महावीर चन्द सिसोदिया ने जानकारी देतें हुए बताया कि नवपद ओलीजी तप पर अनेक भाईयो और बहनों ने आयंबिल तप के प्रत्याख्यान लिए। जिनका श्री एस.एस. जैन संघ के अध्यक्ष एम.अजितराज कोठारी, हस्तीमल खटोड़, सुरेश डूगरवाल, शम्भूसिंह कावड़िया और मंत्री सज्जनराज सुराणा ने स्वागत किया और आयंबिल तप की अनूमोदना की गई।
प्रवक्ता सुनिल चपलोत
श्री एस.एस. जैन संघ, साहुकारपेट, चैन्नई