चेन्नई. धन मंगल एवं अमंगल दोनों होता है पर धर्म मंगल ही है। धन एवं धर्म का चुनाव होने पर प्राय: लोग धन को चुन लेते हैं। धर्म को गौण कर लेते हैं। परन्तु
ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा धन अशाश्वत है।
धर्म शाश्वत है। धन कहता है मुझे धारण करो मैं तुम्हें नरक में ले जाऊंगा। धर्म कहता है मुझे धारण करने पर मैं तुम्हें मोक्ष में ले जाऊंगा। जब धर्म घर में होता है तो वह घर नहीं एक पवित्र मंदिर होता है।
शरीर जल से, मन सत्य से तथा बुद्धि ज्ञान से शुद्ध होती है पर आत्मा धर्म से ही शुद्ध होती है। साध्वी ने कहा कि लक्ष्मी की लाली आत्मा को काली बनाने वाली है। मनी में जो बिजी होता है उसकी दुर्गति भी ईजी होती है।
धर्म में जो बिजी होता है उसकी सद्गति ईजी होती है। आपको जो संपत्ति मिली है वह मद करने के लिए मदद के लिए मिली है। धन बुरा नहीं उसकी आशक्ति बुरी है।