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धन के साथ शुद्ध रहे बुद्धि : मुनि सुधाकरजी

धन के साथ शुद्ध रहे बुद्धि : मुनि सुधाकरजी

धनतेरस पर श्री गणधर गौतम स्वामी के दिव्य मंत्रो का हुआ आध्यात्मिक अनुष्ठान

माधावरम्, चेन्नई ; श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट की आयोजना में आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल के विशाल प्रांगण में मुनि सुधाकरजी के सान्निध्य में धनतेरस के पावन, पुनीत अवसर पर आध्यात्मिक अनुष्ठान के साथ “कैसे करें अध्यात्मिक लक्ष्मी की आराधना” विषय पर विशेष प्रवचन हुआ।

 आराधना में सलग्न साधकों को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री ने कहा कि हमें धर्म की शरण लेनी चाहिए। धर्म हमारे जीवन का त्राण है, प्राण है, आधार है। जहां पर अहिंसा संयम, तप होता है, वहां धर्म होता है।

 मुनि श्री ने कहा कि हिंसा, अत्याचार, अन्याय आदि का सबसे बड़ा कारण गरीबी है। व्यक्ति अभाव में कई बार जो नहीं करने योग्य है, वैसे गलत कार्य भी कर बैठता है। अतः कहा जाता है कि गृहस्थ के लिए धन भी जरूरी है। लेकिन प्रश्न आता है की धन कौन सा? उत्तर मिलता है कि हमारे धन के साथ भी अध्यात्म जुड़ा रहना चाहिए। लक्ष्मी के साथ जब सरस्वती का योग बनता है तब वह धन भी कारगर रहता है। व्यक्ति को लक्ष्मी देवी की आराधना के साथ सरस्वती की भी आराधना, साधना करनी चाहिए, ताकि हमारी बुद्धि विशुद्ध रहे।

 स्वच्छता, प्रसन्नता का वास – वहां होता लक्ष्मी का निवास

मुनि श्री ने विशेष रूप से प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि लक्ष्मी का वास वही होता है जहां स्वच्छता, प्रसन्नता का वास होता है। प्रसन्न व्यक्ति आनंद की अनुभूति कर सकता है। जहां गुरुजनों, बड़ों का आदर होता है, सुसंस्कृत, ऊंची भाषा बोली जाती हैं, जिस घर में संभवत अत्यधिक झगड़ा नहीं होता है, वहां लक्ष्मी का निवास रहता है। मिठाई का स्वाद कुछ समय का होता है, जबकि भीतरी आनंद का मीठापन सदैव रहता है, अतः व्यक्ति को हर समय प्रसन्न रहना चाहिए और घर के साथ, भीतर की स्वच्छता भी रहनी चाहिए, तो व्यक्ति आध्यात्मिक लक्ष्मी का वरण कर सकता है।

मुनि श्री ने धनतेरस के शुभ अवसर पर *”लब्धि संपन्न श्री गणधर गौतम स्वामी के दिव्य मंत्रो का अनुष्ठान”* भी करवाया। स्वास्तिक आकार में 51 जोड़ो के साथ सैकड़ों आराधकों ने अलग अलग बैठ आराधना की, चेन्नई में इस विशिष्ट तरीके से प्रथम बार आयोजित धनतेरस पर आध्यात्मिक आराधना की सभी ने सराहना की।

जैन संस्कार श्री स्वरूप चन्द दाँती ने जैन संस्कार विधि की महत्ता बताते हुए दीपावली आराधना का महत्व बताया। कार्यक्रम संयोजक श्री सुरेश रांका ने मुनिश्री, आराधकों, प्रायोजक श्री सुकनराजजी हीरेन्द्रजी कोठारी, मंगलापुरम परिवार, कार्यकर्ताओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन दिया।

 समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती

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