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धनार्जन में रहे नैतिकता और प्रमाणिकता: परम पूज्य महाश्रमण

धनार्जन में रहे नैतिकता और प्रमाणिकता: परम पूज्य महाश्रमण

अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा आयोजित हुआ दीक्षांत समारोह

कुम्बलगोडु, बेंगलुरु (कर्नाटक): जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने गुरुवार को महाश्रमण समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को ‘सम्बोधि’ ग्रन्थाधारित अपने पावन प्रवचन में प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर तृष्णा का भी उभार हो जाता है। कुछ पदार्थों को पाने की प्यास जो लालसा के रूप में होती है।
जो व्यक्ति तृष्णा से अभिभूत और परिग्रह में असंतुष्ट रहता है, वह अपने अभिष्ट को प्राप्त करने का प्रयास करता है। अपने अभिष्ट की प्राप्ति के लिए आदमी अर्जन का प्रयास करता है। तृष्णा और परिग्रह में असंतुष्ट आदमी अपने अर्जन में नैतिकता और अनैतिकता के भेद को भूला देता है।
उसके भीतर माया और मृषा बढ़ जाती है। वह अपने अभिष्ट को प्राप्त करने के लिए झूठ बोलता है, किसी को ठगने का प्रयास करता है, किसी के साथ छल करता है। चोरी, माया और मृषा अनैतिकता के पारिवारिकजन होते हैं। इन कारणों से आदमी अनैतिकता की ओर बढ़ने लगता है। तृष्णा और लालसा आदमी को चोरी, झूठ, कपट की ओर ले जाने वाला होता है। इस प्रकार आदमी उत्पथ की ओर बढ़ जाता है।
झूठ बोलने के चार कारण बताए गए हैं-क्रोध के कारण, लोभ के कारण, भय के कारण और हंसी-मजाक में व्यक्ति झूठ बोल देता है। आदमी को अपने भीतर एक निष्ठा रखने का प्रयास करना चाहिए कि वह झूठ नहीं बोले।
उसे झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए। चाहे कोई भी परिस्थिति हो, आदमी को झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए। धर्नाजन में शुद्धता रखने का का प्रयास करना चाहिए। अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य तुलसी ने अणुव्रत की बात बताई थी। अहिंसा यात्रा के दौरान भी नैतिकता की बात जनता को बताई जाती है। आदमी को छल, झूठ, कपट और चोरी को छोड़ नैतिकता की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
आदमी को अपने जीवन में जितना हो सके, ईमानदारी रखने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थों को धन के अर्जन में शुद्धता रखने का प्रयास करना चाहिए। धार्मिक संस्थाओं में तो दो नम्बर की पैसे की बात ही नहीं होनी चाहिए। संस्थाओं में पूर्ण शुद्धता की बात हो। आदमी को धन के साथ-साथ धर्म का अर्जन भी करने का प्रयास करना चाहिए और अपनी आत्मा को पापों से बचाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने स्वरचित कृति ‘महात्मा महाप्रज्ञ’ के माध्यम से आचार्य महाप्रज्ञजी के दीक्षा के बाद के कुछ प्रसंगों को श्रद्धालुओं को रोचक ढंग से सुनाया।
कार्यक्रम के उपरान्त आचार्यश्री ने श्रावक श्री फतेहचंद भंसाली के देहावसान हो जाने के संदर्भ में उपस्थित परिजनों को पावन प्रतिबोध प्रदान किया। साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी ने गतात्मा के संबंध में अपने उद्गार व्यक्त किए। दिवंगत आत्मा के परिजनों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। आज भी अनेकानेक तपस्याओं का प्रत्याख्यान हुआ।
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल द्वारा आयोजित आचार्य तुलसी शिक्षा परियोजना के अंतर्गत छह साल तत्त्वज्ञान और पांच वर्ष तेरापंथ दर्शन पाठ्यक्रम के 178 संभागियों को ‘श्रुतोत्सव’ दीक्षांत समारोह में आचार्यश्री के समक्ष प्रमाण पत्र आदि प्रदान किए गए।
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती कुमुद कच्छारा, महामंत्री श्रीमती नीलम सेठिया आदि पदाधिकारियों द्वारा संभागियों को सम्मानित किया गया। आचार्यश्री ने संभागियों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया।
                  🙏🏻संप्रसारक🙏🏻
            *सूचना एवं प्रसारण विभाग*
         *जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा*

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