बड़े ही आनंद एवं उत्साह पूर्वक गुरुणीमैया महा साध्वी श्री वीरकांता जी महाराज आदि ठाणा- 4 का चातुर्मास चल रहा है ।
आज महासाध्वी जी ने फरमाया- द्वेष हमारी आत्मा का पतन करता है। द्वेष से आत्मा भव-भव भ्रमण करती है। द्वेष का जन्म ईष्या, वैर घृणा, तिरस्कार से होता है । और जैसे- जैसे ये सब बढ़ते जाऐंगे वैसे वैसे द द्वेष बढ़ता जाएगा ।
वर्तमान में लोग कभी व्यक्ति से, द्वेष करते है, कभी धर्म से, द्वेष करते हुए संप्रदायिक दंगों को बढ़ावा, देते हैं। ये सभी दंगे है देश को सर्वनाश की ओर लेकर जाते है। देश में अराजकता फैलाते है। लोगों में भेद-भाव पैदा करते है। इन्हीं दंगों के कारण अशांति का वातावरण पैदा हो जाता है। ये अशांति जन-मन को भी, अशांत बनाती है। देष की जड़े देश और परिवार को खोखला बनती है । परिवार में प्रेम -प्यार खत्म हो जाता है । इसीलिए जीवन से द्वेष को खत्म करके प्यार को दिल में स्थान देना है .
संघ के प्रधान सुभाष जैन पप्पी जी ने बताया है कि 12 घंटे का नवकार महामंत्र का जाप जैन सभा में बड़े ही सुंदर रूप से गतिमान है । आने वाले रविवार को जन्माष्टमी का कार्यक्रम बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा । छोटे छोटे बच्चे राधा ,कृष्णा ,मीरा बाल -गोपाल , रुक्मणी बनकर कम्पीटीशन में भाग लेंगे ।