किलपाॅक में चातुर्मासार्थ विराजित आचार्य भगवंत तीर्थ भद्रसूरिश्वर के सान्निध्य में शनिवार को उनके प्रथम शिष्य मुनि तीर्थ रतिविजय ने गणि पंन्यास पदवी प्रदान के पहले आगम का अपना अध्ययन शुरू किया।
इसके पहले उन्होंने अन्य साधु साध्वी एवं चतुर्विध संघ से आशीर्वाद लिया और अपनी प्रतिबद्धता के लिए अनुष्ठान किया। अनुष्ठान की पूर्णाहुति के पश्चात उपस्थित साधु साध्वी एवं चतुर्विध संघ ने वधामणा कर उनका अभिनंदन किया और शुभकामनाएं दी।
इस मौके पर आचार्य ने कहा द्वादसांगी का अभ्यास साधु, साध्वी ही कर सकते हैं। यह एक कठिन प्रक्रिया है। इसमें तांत्रिक, यांत्रिक व मांत्रिक क्रियाएँ होती है। थोड़ी सी चूक होने पर प्रायश्चित लेना पड़ता है।
मुनि अब तक नौ बार इस तरह के योग सफलतापूर्वक कर चुके हैं। दूसरे संत उत्तरसाधक बन कर उनकी सहायता करते हैं। मुनि की यह साधना छः महीने चलेगी। मुनि को 1 फरवरी 2020 को गणि पंन्यास की पदवी देने की घोषणा की जा चुकी है।